अयोध्या विवाद में सुलह-समझौते में जुटे आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने आज बरेली में इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल (आइएमसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां से उनके आवास पर मुलाक़ात की.
इस मुलाकात के बाद तौकीर रजा खां ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर को आशंका है, इस मसले को विश्व हिंदू परिषद सुलझने नहीं देना चाहता. उन्होंने कहा कि उनका मकसद भी अमन को कायम रखना है और उसके लिए जो भी मुमकिन हो सकेगा, किया जाएगा. हम नहीं चाहते कि कोई ऐसा फैसला आए, जिससे एक पक्ष में मायूसी और दूसरे में जश्न का माहौल. उसके लिए बेहतर है कि कोर्ट के बाहर दोनों पक्षों को बैठाकर बातचीत कराई जाए, उन्हें बातचीत के लिए तैयार करना हमारा काम है और इस काम को हम अंजाम देंगे.
मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि रविशंकर को संदेह की नजरों से देखा जा रहा है. कोई उन्हें भाजपा की कठपुतली बता रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा कभी इस मसले को सुलझाना नहीं चाहती है. उनके हिसाब से रविशंकर की नीयत ठीक है और वह उनकी बातों और अंदेशों से पूरी तरह सहमत हैं. भविष्य में वह उनकी इस मुहिम में मदद करेंगे.
वहीँ मौलाना से बातचीत के बाद श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि कोर्ट के बाहर दोनों पक्षों का बैठना बहुत जरूरी है. हम नहीं चाहते कि मिडिल ईस्ट की तरह यहां भी किसी मुद्दे को लेकर हालात इतने खराब हो जाएं. शांति का यही पैगाम लेकर दरगाह आला हजरत आए हैं और कामना की है हमारे देश में अमन कायम रहे. मंदिर और मस्जिद मुद्दे पर अपना फार्मूला मौलाना तौकीर रजा खां के सामने रखा है. उम्मीद है कि मसले का हल निकलेगा. माना जा रहा है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीश्री रविशंकर आज बरेली में सुन्नी बरेलवी मुस्लिमों का मन टटोलने के इरादे से पहुंचे है.
हालांकि इस दौरे से बरेलवी उलेमाओं ने अपनी दुरी बनाए रखी. श्रीश्री रविशंकर जानशीन मुफ्ती आजम हिंद मौलाना अख्तर रजा खान अजहरी मियां के मदरसा जामिया तुल रजा इस्लामिक स्टडी सेंटर मथुरापुर भी पहुंचे. हालांकि उन्हें मदरसे के बाहर से ही मायूस लौटना पड़ा. उन्हें मदरसे में जाने की इजाजत नहीं मिली.