उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुक्रवार रात मल्टिनैशनल कंपनी ऐपल में एरिया मैनेजर विवेक तिवारी के साथ हुए पुलिस शूटआउट मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि वह अब तक अलीगढ़ में हुई फर्जी मुठभेड़ को लेकर खामोश है।
अखिलेश यादव के दोहरे रवैये पर सवाल खड़े करते हुए सपा की पूर्व प्रवक्ता और हाल ही में समाजवादी पार्टी को अलविदा कहने वाली पांखुड़ी पाठक ने कहा कि वह क्यों कामयाब हैं और आप क्यों नाकामयाब। सच सुनने की हिम्मत है ? विवेक तिवारी उनका वोटर था- उन्होंने तुरंत डेमैज कंट्रोल किया – आज उसका परिवार संतुष्ट है। जितेंद्र यादव आपका वोटर था – आपने उसके लिए कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया। नौशाद मुस्तकीम का साथ देने की आपमें हिम्मत नहीं।
वह क्यूँ कामयाब हैं और आप क्यूँ नाकामयाब।
सच सुनने की हिम्मत है ?#विवेक_तिवारी उनका वोटर था- उन्होंने तुरंत damage control किया – आज उसका परिवार संतुष्ट है ।#जितेंद्र_यादव आपका वोटर था – आपने उसके लिए कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया ।#नौशाद_मुस्तकीम का साथ देने की आपमें हिम्मत नहीं— Pankhuri Pathak پنکھڑی (@pankhuripathak) October 3, 2018
दरअसल, सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिये कि पुलिस की गोली से मरने वाला विवेक तिवारी ब्राहमण था इसलिये सरकार ने तुरंत एक्शन ले लिया और रातों रात मुआवजा से लेकर आरोपी पुलिसकर्मी को जेल तक भेज दिया। लेकिन ऐसा दूसरे मामलों में नहीं हो पाया, जबकि यूपी पुलिस ने कई निर्दोषों को बदमाश बताकर मारा है।
मीडिया ने भी अपना काम किया था और समाज ने भी ।
जितेंद्र यादव की लड़ाई कमज़ोर क्यूँ पड़ी सच आपके सामने है ।
इस विषय पर सोचिएगा ज़रूर ।— Pankhuri Pathak پنکھڑی (@pankhuripathak) October 3, 2018
जिस पर पांखुड़ी पाठक ने कहा कि हम लोगों ने नॉएडा, लखनऊ और वाराणसी में प्रदर्शन किया लेकिन क्यूँ मुख्य विपक्षी पार्टी ने पूरे प्रदेश में आंदोलन नहीं किया ? कोई बड़ा नेता क्यों जितेंद्र के घर नहीं पहुँचा? उसके परिवार से मिलने में इतना समय क्यों लगाया? क्यों सरकारी नौकरी या मुआवज़े की मांग सरकार के आगे नहीं रखी?
हम लोगों ने नॉएडा ,लखनऊ और वाराणसी में प्रदर्शन किया लेकिन क्यूँ मुख्य विपक्षी पार्टी ने पूरे प्रदेश में आंदोलन नहीं किया ? कोई बड़ा नेता क्यूँ जितेंद्र के घर नहीं पहुँचा? उसके परिवार से मिलने में इतना समय क्यूँ लगाया? क्यूँ सरकारी नौकरी या मुआवज़े की माँग सरकार के आगे नहीं रखी?
— Pankhuri Pathak پنکھڑی (@pankhuripathak) October 3, 2018
पांखुड़ी पाठक ने कहा कि सुबह ख़बर मिलते ही मैंने ख़ुद एक एक चैनल को फ़ोन किया था । मीडिया अगर ख़बर नहीं बनाता तो जितेंद्र के बारे में आप सब को पता भी नहीं चलता। हमने विरोध प्रदर्शन भी किया। नॉएडा के लगभग सभी गाँव से यादव समाज के बड़े बुज़ुर्ग से ले कर युवा फोर्टिस अस्पताल पहुँचे। कई दिन वहाँ लोग डटे रहे।
सुबह ख़बर मिलते ही मैंने ख़ुद एक एक चैनल को फ़ोन किया था । मीडिया अगर ख़बर नहीं बनाता तो जितेंद्र के बारे में आप सब को पता भी नहीं चलता।
हमने विरोध प्रदर्शन भी किया। नॉएडा के लगभग सभी गाँव से यादव समाज के बड़े बुज़ुर्ग से ले कर युवा fortis अस्पताल पहुँचे। कई दिन वहाँ लोग डटे रहे— Pankhuri Pathak پنکھڑی (@pankhuripathak) October 3, 2018
उन्होने बताया कि पूरे यादव समाज में भारी आक्रोश था। मेरे सामने की बात है कि भाजपा के एक प्रवक्ता को फोर्टिस से जान बचा कर भागना पड़ा था- इतना ग़ुस्सा था यादव समाज के युवाओं में। अगर इस मामले में कोई कमज़ोर रहा तो उस पार्टी का नेतृत्व जिसे जितेंद्र का परिवार वोट देता था।