असम में सोमवार को जारी किए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं किया गया। यानि कि ये सभी अब भारतीय नहीं है और इन लोगों को फिर से अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। अन्यथा इन सभी को बांग्लादेशी घुसपेठिया माना जाएगा।
इसी बीच हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिंदू बांग्लादेशियों का संरक्षण करना असम अकॉर्ड की आत्मा के खिलाफ है। औवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘यदि कोई राजनेता या शाह कहते हैं कि एनआरसी के ड्राफ्ट से बाहर बचे 40 लाख लोग अवैध प्रवासी हैं तो सुप्रीम कोर्ट को इस तरह के विचित्र बयान पर संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि यह कोर्ट की अवमानना है। बीजेपी एमएलए रमाकांत देवरी के बारे में क्या क्योंकि उनका नाम भी एनआरसी के ड्राफ्ट से बाहर है।’
According to Assam Accord both illegal immigrants irrespective of religion should be detected
Protecting Hindu Bangladeshis by BJP is also against the soul of Accord(Citizenship Amendment Bill)— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 31, 2018
If Any politician or “Shah ” says 40 lakh people left out of DRAFT NRC r illegal immigrants then Supreme Court should take cognisance of these weird statements as it is a Contempt Of Court ,what about BJP MLA Rama Kanta Dewri is he illegal as his name was excluded from Draft NRC
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 31, 2018
बता दें कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुए मंगलवार को कहा कि ‘ये 40 लाख लोग कौन हैं। इनमें बांग्लादेशी घुसपैठिये कितने हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं।’
शाह ने कहा कि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौते के तहत एनआरसी बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा, ‘एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिए हम इसे लागू करने के लिए निकले हैं।’