नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़े 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि मस्जिद में नमाज़ का मुद्दा संविधान पीठ को नहीं भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्टने मस्जिद को इस्लाम का अटूट हिस्सा मानने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2-1 की बहुमत से यह फ़ैसला दिया है।
इस फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘अगर यह मामला बड़ी संवैधानिक बेंच में भेजा जाता, तो बेहतर होता। मुझे आशंका है कि इस देश की धर्मनिरपेक्षता के दुश्मन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का उपयोग अपने विचारधारात्मक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करेंगे।’
It would have been better if this issue was referred to Constitutional bench. Also, I have an apprehension that the enemies of secularism in this country will use this judgment to realize their ideological objectives: Asaduddin Owaisi on Ayodhya matter (Ismail Faruqui case) pic.twitter.com/1iWetCIBce
— ANI (@ANI) September 27, 2018
वहीं दूसरी और आरएसएस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2 9 अक्टूबर से 3 सदस्यीय खंडपीठ ने श्री राम जन्मभूमि मामले पर सुनवाई करने का फैसला किया है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं और आश्वस्त हैं कि इस मामले पर जल्द ही फैसला सुनाया जाएगा।
बता दें कि जस्टिस भूषण ने अपने और CJI दीपक मिश्रा की तरफ से फैसले में कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच को नहीं भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2-1 से फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले को बड़ी बेंच में भेजने की जरूरत नहीं है। जस्टिस भूषण ने कहा कि सभी मंदिर, मस्जिद और चर्च का अधिग्रहण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, यह कहा जा चुका है. उन्होंने कहा कि सवाल था कि मस्जिद का अधिग्रहण हो सकता है या नहीं।
हालांकि इस फैसले पर जस्टिस अब्दुल नजीर ने असहमति जताई है। जस्टिस अब्दुल नजीर ने इस फैसले से असहमति जताते हुए कहा, पुराने फैसले में सभी तथ्यों पर विचार नहीं किया गया। मस्जिद में नमाज पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। इसके साथ ही इस मामले को बड़ी बैंच को भेजा जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है इस विषय पर फैसला धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए।
न्यायमूर्ति नजीर ने बच्चियों के खतने पर न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा मामले की सुनवाई बड़ी पीठ द्वारा की जानी चाहिए। जस्टिस नजीर ने इस मामले में अपनी राय रखते हुए कहा, ‘मैं अपने भाई जजों की राय से सहमत नहीं हूं।’खतने पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले का जिक्र करते हुए जस्टिस नजीर ने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जाना चाहिए।
जस्टिस नजीर ने कहा कि जो 2010 में इलाहाबाद कोर्ट का फैसला आया था, वह 1994 फैसले के प्रभाव में ही आया था। इसका मतलब इस मामले को बड़ी पीठ में ही जाना चाहिए था। बता दें कि जस्टिस भूषण ने अपने और CJI दीपक मिश्रा की तरफ से फैसले में कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच को नहीं भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2-1 से फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले को बड़ी बेंच में भेजने की जरूरत नहीं है।