आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में एनआईए द्वारा आईएस के सदिग्धों को कानूनी कारवाई उपलब्ध कराने के फैसले को सही ठहराया हैं. उन्होंने कानूनी मदद को एक मुल अधिकार बताया हैं.
उन्होंने कहा कि ”अगर कानूनी सहायता मूल अधिकार है, तो इन लोगों को समस्या क्या है या उन्हें क्यों दर्द हो रहा है ?” ”अगर हम देश के तौर पर पाकिस्तान के खूंखार आतंकी (अजमल कसाब) को वकील मुहैया करा सकते हैं, तो इन भारतीय नागरिकों को क्यों नहीं जिन पर आरोप जरूर लगे हैं
उन्होंने पूछा, ”यही तर्क उन वकीलों के लिए इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता जो असीमानंद (मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस), प्रज्ञा ठाकुर (मालेगांव ब्लास्ट केस) की पैरवी कर रहे हैं? क्या आप यह कहना चाहते हैं कि वे वकील राष्ट्रवादी हैं? और मैं जो कर रहा हूं वह राष्ट्र-विरोधी है?”
ओवैसी ने 2007 में मक्का मस्जिद धमाकों के बाद की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए कहा, मक्का मस्जिद धमाकों के बाद 80 से ज्यादा मुस्लिम लड़कों को उठाया गया, उन्हें यातनाएं दी गईं और एक हफ्ते तक गैरकानूनी हिरासत में रखा गया. बाद में सामने आया कि वे धमाकों में शामिल नहीं थे और तब राज्य सरकार को हर एक को एक लाख रुपए मुआवजा देना पड़ा था. ओवैसी ने पूछा कि NIA ने असीमानंद की जमानत के खिलाफत क्यों नहीं की जो कि मामले में ‘अभी तक आरोपी’ है.