संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन नोटबंदी के फैसले को लेकर राज्यसभा में केंद्र सरकार को घेरते हुए विपक्ष पूरी तरह से एकजुट नजर आया. बसपा सुप्रीमो मायावती ने पीएम पर हमला बोलते हुए कहा कि पीएम ने कहा कि सरकार पिछले 10 महीने से विमुद्रीकरण की तैयारी कर रही थी, इतना वक्त काफी होता है, हालात अभी भी काबू में नहीं हैं.
उन्होंने आगे कहा, असल बात ये है कि इन 10 महीनों में भाजपा के नेताओं और उद्याेगपतियों ने अपना काला धन ठिकाने लगा दिया. उन्होंने पीएम मोदी की मां हीरा बाई द्वारा बैंक की लाइन में लगकर नोट बदलवाने की और इशारा करते हुए कहा कि ”अगर तैयारी पूरा होती तो भावनात्मक ड्रामा नहीं करना पड़ता, न अपनी बूढ़ी मां को लाइन में खड़ा करना पड़ता.
वहीँ जेडीयू के राज्यसभा सांसद शरद यादव ने कहा, ‘हम काले धन के खिलाफ हैं और इसे बंद किया जाना चाहिए, लेकिन मेरा दावा है कि सरकार अगले 10 साल में भी विदेशों से काला धन वापस नहीं ला पाएगी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार के इस फैसले से सर्वाधिक परेशान आम आदमी ही हुआ है. सारे बाजार बंद हैं, किसान और दिहाड़ी कमाने वालों को भारी परेशानी हुई है.’
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने इस बारे में कहा कि ‘हमारी 86% फीसदी नकदी का विमुद्रीकरण कर दिया गया और आज देश 14% नकद पर जिंदा हैं. सिर्फ 6 फीसदी कालाधन ही नकद में है, जो बाजार में घूम रहा है, जमा कर रखा नहीं गया है. बाजार में घूमते पैसे को नोटबंदी से रोकना मुश्किल है. उन्होंने सवाल किया, आप क्या सोचते हैं 500 और 1000 के नोट बंद करने से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा? अब 2,000 के नोटों से भ्रष्टाचार और बढ़ेगा.’
येचुरी ने कहा, ‘महाराष्ट्र में उन्होंने कहा कि आप सिनेमा टिकट खरीदने के लिए पुराने नोट का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप सिनेमा टिकट खरीद सकते हैं, लेकिन खाना नहीं.’ वह कहते हैं, ‘असम में परसो उपचुनाव होने हैं. इसलिए असम के चाय बागानों के लिए केंद्र सरकार ने छूट दे दी है. लेकिन बंगाल के लिए नहीं? इन छूटों का फैसला किस आधार पर किया जा रहा है. इसकी जांच की जानी चाहिए.’