महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठा सुमदाय लंबे समय से आंदोलन जारी है। अब तक पाँच लोगों से ज्यादा ने आत्महत्या कर ली है तो कई को गिरफ्तार किया जा चुका है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा कि दिन-ब-दिन नौकरियां गठती जा रही हैं लेकिन लोग आरक्षण की मांग करते जा रहे हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘‘मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है। लेकिन नौकरियां नहीं हैं। क्योंकि बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं। सरकारी भर्ती रूकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती। उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिन्दू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है।’’
उन्होंने ये भी कहा, ‘पिछड़ापन राजनीतिक हित साधने का जरिया बनता जा रहा है…आज कल हर कोई अपने आपको पिछड़ा बताने में लगा है। बिहार और उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मजबूत हैं और राजनीति पर हावी हैं लेकिन, वे भी खुद को पिछड़ा बताते हैं।’
My attention has been drawn to certain media reports attributed to me. There is absolutely no thinking at the central government to change the reservation criteria from castes to economic conditions.
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) August 4, 2018
हालांकि, अपने इन बयानों पर नितिन गडकरी ने कुछ देर बाद सफाई भी दी। उन्होंने एक ट्वीट कर स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार जातिगत आधार पर आरक्षण मानदंडों को आर्थिक परिस्थितियों में बदलने पर कोई विचार नहीं कर रही है।