पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में राष्ट्रवाद और ‘भारत माता की जय’ के नारे का दुरुपयोग हो रहा है। इस नारे का इस्तेमाल कर भारत के बारे में भावनात्मक और उग्रवाद का विचार पैदा किया जा रहा है। ऐसा करने से देश के नागरिक अलग-अलग हो जाएंगे।
मनमोहन सिंह ने देश के पहले प्रधानमंत्री पर लिखी गई एक किताब की लॉन्चिंग के मौके पर कहा कि अगर आज भारत को एक शानदार देश और जीवंत लोकतंत्र के तौर पर पहचाना जाता है, तो इसका श्रेय पंडित जवाहरलाल नेहरू को जाता है। अगर आज भारत दुनिया की प्रमुख शक्तियों में शामिल हैं, तो यह नेहरुजी के कारण संभव हुआ। पहले प्रधानमंत्री को इसका शिल्पी माना जाना चाहिए।
उन्होने कहा, यह दुभार्ग्यपूर्ण है कि लोगों का एक समूह जिसे या तो इतिहास पढने का धैर्य नहीं है अथवा वे पूवार्ग्रह से ग्रसित होने की वजह से पंडित नेहरु को गलत परिपेक्ष्य में दशार्ने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इतिहास में गलत और फर्जी चीजों को नकारने तथा उन्हें सही परिपेक्ष्य में रखने की क्षमता है।
#WATCH Former Prime Minister & Congress leader Manmohan Singh, in Delhi: Nationalism and the slogan of 'Bharat Mata Ki Jai' are being misused to construct a militant and heavily emotional idea of India that excludes millions of residents and our citizens. pic.twitter.com/YW6XLy6FLZ
— ANI (@ANI) February 22, 2020
उन्होंने कहा कि दुनिया में जीवंत लोकतंत्र के रुप में भारत को विश्व की एक प्रमुख शक्ति के रुप में देखा जाता है तो इसके लिए पंडित नेहरु को मुख्य वास्तुकार के रुप में देखा जाना चाहिये । पंडित नेहरु न केवल महान नेता थे बल्कि महान इतिहासकार, दार्शनिक और विद्वान थें। सिंह ने कहा कि कई भाषाओं के जानकार पंडित नेहरू ने आधुनिक भारत के अनेक विश्वविद्यालयों, और सांस्कृतिक संस्थानों की आधारशिला रखी।
पुरुषोत्तम अग्रवाल और राधा कृष्ण द्वारा लिखित ‘हू इज भारत माता’ नामक इस पुस्तक में नेहरू की क्लासिक पुस्तकें: ऑटोबायोग्राफी, ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री और डिस्कवरी ऑफ इंडिया, आजादी से पहले और बाद के उनके भाषण , लेख, पत्र तथा कुछ सनसनीखेज कुछ साक्षात्कार हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘ऐसे समय में इस पुस्तक की खास प्रासंगिकता है जब राष्ट्रवाद और भारत माता की जय के नारे का भारत के उग्रवादी एवं विशुद्ध भावनात्मक विचार के निर्माण के लिए दुरूपयोग किया जा रहा है, एक ऐसा विचार जिसमें लाखों बाशिंदे और नागरिक शामिल नहीं हैं।’’