मुंबई। संघ के महासचिव भैय्याजी जोशी ने सत्ता के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख की सराहना की लेकिन साथ ही कहा कि ‘धर्म दंड’ जनता के हाथ में होता है और वह शासक को उसका ‘राज धर्म’ याद दिला सकती है।
जोशी ने एक समारोह के दौरान कहा कि अगर राजा को राज धर्म का पालन करने का जनादेश दिया जाता है तो प्रजा की भी समान रूप से राजा के प्रयासों में सहयोग करने की जिम्मेदारी है। यदि जनता कमजोर बनी रहती है और शासक के प्रयासों का समर्थन नहीं करती तो राजा के निरकुंश बनने की अधिक आशंका होती है। उन्होंने मोदी का नाम लिए बिना कहा कि सौभाग्य से, हमें शासक के रूप में एक सेवक मिला है जो पहली बार संसद की सीढ़ियां चढ़ने पर शीश झुकाता है। मोदी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नहीं बल्कि ‘प्रधान सेवक’ हैं।
उपनगरीय विले पार्ले इलाके में संन्यास आश्रम संस्थान में एक समूह को संबोधित करते हुए जोशी ने कहा कि लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रजा के हाथों में धर्म दंड है जो अंतत: राजा को राज धर्म याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि राजा नीतियां और कल्याणकारी योजनाएं लागू कर सकता है लेकिन उसके पूर्ण फलदायी होने के लिए देशवासियों को भी उनका समर्थन करना चाहिए। जब तक राजा और प्रजा मिलकर काम नहीं करते, न तो राजा और न ही जनता शांतिपूर्वक रह पाएगी।
संघ नेता ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के उस बयान की भी सराहना की कि यदि युद्ध थोपा जाता है तो उसके समय और स्थान का चयन भारत करेगा। उन्होंने कहा कि जब रक्षा मंत्री इस प्रकार की टिप्पणी करते हैं तो इससे आम आदमी को अनोखा विश्वास मिलता है कि पूरा परिदृश्य बदल गया है और अब हम अच्छे हाथों में हैं। साभार: ibnlive