‘अगर फिरको में बटें रहे तो नही रुकेगा ज़ुल्मो-सितम’- मंच पर साथ आये मौलाना मदनी और मौलाना तौकीर रजा

maulana taukir apologized over devband issue

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लखनऊ। मुसलमान अगर अल्लाह के बताए रास्ते पर चले तो वह एक बार फिर से दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। मगर हम दूसरों से शिकवे करने के आदी हो गये हैं। हम खुद अपने साथ इंसाफ नहीं कर पा रहे हैं। यह विचार दारुल उलूम नदवतुल उलमा के प्रिंसिपल मौलाना सईदुर्रहमान आजमी नदवी ने कही। वे गुरुवार को तहरीके उमर सोसाइटी की ओर से सिटी स्टेशन के पास स्थित रिफाहे आम क्लब में आयोजित जलसा हालाते हाजिरा और मुसलमान को सम्बोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुसलमान इस देश में किरायेदार नहीं है बल्कि हिस्सेदार है। उसको देश में हर तरह का हक हासिल है। मुलसमानों को अगले बीस साल के लिए शिक्षा को अपना हथियार बनाना होगा।

मौलाना ने कहा कि तुम बगैर जाति, धर्म का फर्क किये अपने पडोसियों से हुस्ने सुलूक करो, सब्र और हिम्मत से काम लेते हुये अपनी जद्दोजहद को कायम रखो और इंसाफ देने वाले बनो भीख मांगने और शिकायतें करने की आदत छोड़ कर अपनी कमियों को सुधारो।

बरेली से आयेे मौलाना, तौकीर रजा खाँ ने कहा कि मसलक का इख्तियार हमारे घर का मामला है इसे बाहर न जाने दो। उन्होंने ने कहा कि हम मसलकी ऐतबार से मुत्तहिद नही हो सकते तो मिल्ली मसायल पर तो इत्तिहाद कायम कर ही सकते हैं। और आज अगर हम मुत्तहिद नही हुये और इसी तरह फिरकों मे बटे रहे तो वह दिन दूर नहीं कि हर कोई मारा जायेगा। आज हमें हमारी दुश्मन ताकतें सिर्फ मुसलमान समझ कर हम पर जुल्म कर रही हैं और हम हैं कि मसलको में बंटे हैं। मौलाना रजा ने कहा कि आज हिन्दुसतान की हर कौमें फिरकों और जातियों में बंटी हुई है लेकिन जिस तरह हम लड रहें हैं शायद कोई और कौम इस तरह नही लड रही है वह अपने साथ हो रहे न इन्साफी, जुल्म और हक के लिए सारे इक्तिलाफ को भूल कर एक जुट हो जाते हैं लेकिन हमारी खुद गर्जी इस तरह बढ गई है कि हम मारे तो जाते हैं लेकिन अपने इत्तिहाद का सुबूत नहीं देते।

मौलाना ने अपने देवबंद के दौरे का जिक्र करते हुये कहा कि हमने इस बात कि परवाह नही किया कि हमारे मसलकी इक्तिलाफात के कारण वंहा जाने पर मेरे साथ बेहतर बर्ताव किया जायेगा या फिर दुतकारा जायेगा बल्कि हमने कौम का काम समझ कर अल्लाह के भरोसे का कदम आगे बढाया और अल्लाह ने मेरे अमल को कुबूल फरमाया और देवबंद के जिम्मेदारो ने मुझे गले लगाया क्योंकि कंही न कंही उन को भी इस बात की फिक्र थी कि आज सारे इक्तिलाफात के बंधन टूटने चाहिये।लेकिन मौलाना ने शिकायत की क्या देवबंद के जिम्मेदारो की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि जिस तरह मैं देवबंद गया वही पैगाम लेकर वह भी बरेली आयें?

मौलाना मदनी ने मौलाना तौकीर रजा खां का शुक्रिया अदा करते हुये कहा कि हम सब को मौलाना की इस कोशिश की हिमायत करनी चाहिए कि हमारे बीच में मसलको से हट कर मिल्ली मसायल पर एक जुट होने का तारीखी कदम उठाया है।

मौलाना मदनी ने कहा कि हर मुस्लमान अपने अकीदे और मसलक पर कायम रहते हुये मिल्ली मसायल पर एक जुटता का परिचय दे यही वक्त की जरूरत है। और मौलाना तौकीर रजा सहाब ने जो कदम उठाया है उसके लिये मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं और अपील करता हूं कि उनकी इस कोशिश को कामयाब करने के लिये उनका साथ दें।

कार्यक्रम का संचालन मौलाना मेहदी हसन ऐनी कासमी ने किया।
कार्यक्रम में मौलाना उसामा कानपुरी, प्रोफेसर शकील समदानी, रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट शुएब इत्यादि ने भी अपनी बात रखी।

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