आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू डायलॉग को लेकर गुरुवार को लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया। उन्होने मोदी सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने का गंभीर आरोप लगाया।
ओवैसी ने कहा भारत सरकार जानबूझकर संप्रभुता को दूसरे देशों को सौंप रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है। ओवैसी ने कहा, ‘टू प्लस टू मीटिंग के दौरान अमेरिका के साथ संचार अनुकूलता और सुरक्षा समझौतों पर जल्दी हस्ताक्षर कर भारत कगार पर है। इससे भारत सरकार जानबूझकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता कर रही है।’
Asaduddin Owaisi moves adjournment motion in Lok Sabha. Says 'India is on the verge of hastily signing a Communications Compatibility & Security Agreement with US during ‘2+2’ meeting.Govt is willingly relinquishing sovereignty to foreign nation &compromising national security' pic.twitter.com/o0NlfHSCkX
— ANI (@ANI) August 2, 2018
दूसरी और एनआरसी के मुद्दे पर ओवैसी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर सुविधा और पहचान की राजनीति करने की बात कही। ओवैसी ने कहा कि वह असमी पहचान को तो बकरार रखना चाहती है लेकिन कश्मीरी पहचान को नहीं।
BJP wants Assamese Identity to be intact at the cost of sacrificing Identity of 40 Lakh people BUT in Kashmir BJP wants Article 35 t be scrapped to dilute Kashmiri Identity ?
BJP is playing politics of Convenience & Identity where it suits them politically but Sctt is monitoring— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 1, 2018
उन्होने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा 40 लाख लोगों की पहचान की कुर्बानी की कीमत पर असमी पहचान को बरकरार रखना चाहती है… लेकिन कश्मीर में भाजपा कश्मीरी पहचान को कमजोर करने के लिए अनुच्छेद 35 को रद्द करना चाहती है?’’ उन्होंने कहा कि भाजपा सुविधा और पहचान की राजनीति कर रही है। पार्टी को राजनीतिक रूप से जहां जो सही लगता है वहां वह वो कर रही है।
other hand, the top court was more sympathetic to the Chakmas who were Buddhist residents of Chittagong Hill Tracts and Mymensingh districts of former East Pakistan and today’s Bangladesh.https://t.co/CXlQbp52vc
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 1, 2018
ओवैसी ने आगे कहा, दूसरी तरफ, शीर्ष अदालत चकमाओं के प्रति अधिक सहानुभूतिपूर्ण थी जो पूर्व पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स और माईमेंसिंघ जिलों के बौद्ध निवासी थे।