राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद ने नोटबंदी को लेकर सवालों की झड़ी लगाते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछा कि क्या 35 दिनों में जनता की समस्याओं का हल हो जाएगा? नहीं तो बताएं कि कितने दिन और जनता को तड़पाएंगे?
गुरुवार को एक प्रेस बयान जारी कर लालू ने कहा कि आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधान सेवक हैं जैसा कि आप हर जगह ढिंढोरा पीटते हैं तो आपने एक प्रधान सेवक रहते हुए जनता के बारे में बिना सोचे – विचारे कैसे इतना बड़ा कदम उठा लिया और कैसे ये तुगलकी फरमान जनता पर थोप दिया?
उन्होंने आगे कहा कि हम काले धन के सख़्त विरोधी हैं।. काले धन वालों को दबोचो. किंतु इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते? उन्होंने कहा एक पखवाड़े पूर्व अचानक देशवासियों को यह फ़रमान सुनाया गया कि चार घण्टे बाद देश की 86% मुद्रा सिर्फ़ कागज़ का टुकडा रह जायेगी. यह तुग़लकी फ़रमान था, कहावत के रूप में भी, भावात्मक रूप में भी और वास्तविक रूप में भी.
1- किसानों की दोनों फसलें बर्बादी के कगार पर हैं। उनसे कैसा बदला लिया जा रहा है?
2- देश के भूखे, निर्धन, वंचितों को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा सुख मिल रहा है?
3- प्रधानमंत्री बताएं कि नोटबंदी के बाद एफडीआई का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चुका है?
4- प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का जिम्मेवार कौन है? इस कदम से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे? विकास दर में गिरावट की जिम्मेवारी प्रधानमंत्री लेगा या बलि का बकरा ढूंढ़ा जाएगा?
5- नोटबंदी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं. इनकी हत्या का दोषी कौन है? प्रधानमंत्री बताएं कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा कि नहीं? प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्जाना कौन भरेगा?
6- ‘प्रधानमंत्री के नोटबंदी के निर्णय में क्या मंत्रिपरिषद की सहमति थी? अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे. जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं?’
7- छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्ज़ाना कौन भरेगा?
8- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हमला करते हुए उन्होंने पूछा कि कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबन्दी का स्वांग रचा गया? मोहन भागवत चुप क्यों हैं?
9- 15 लाख के चुनावी वादे का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि मोदी सीमा निर्धारित करके बताएं कि उनके वादानुसार लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये कब जमा होंगे?