‘वोट के बदले रिश्वत लेने के’ दिए गए बयान को लेकर चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी किया था. जिसके जवाब में केजरीवाल ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर कहा कि इस पर जनता में बहस होनी चाहिए.
उन्होंने पत्र में लिखा कि उन पर लगे आरोप निराधार है, साथ ही वह रिश्वतखोरी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने आदेश पारित किया है कि मैं लोगों को रिश्वत लेने के लिए भड़का रहा हूं. मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या गलत बोल रहा हूं. अगर मैं कहता कि जो पैसे दे, उसी को वोट देना, तब रिश्वतखोरी होती. मैं तो बिल्कुल उल्टा बोल रहा हूं कि जो पैसे दे उसको वोट मत दो.
केजरीवाल ने आगे कहा कि मेरे इस बयान से तो रिश्वतखोरी बंद होगी. जब पैसे देने वाली पार्टियों को भी लगेगा कि लोग पैसा ले भी लेते हैं और वोट नहीं देते तो वे पैसा बांटना बंद कर देंगी. उन्होंने चुनाव आयोग के कार्यों पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि सभी कोशिशों के बावजूद, चुनाव में पैसे का चलन रुकने की बजाय बढ़ा है. और चुनाव आयोग कुछ नहीं कर पाता.
My letter to Chief Election Commissioner. There ought to be a public debate on this issue pic.twitter.com/bpBA4iwGPw
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 23, 2017
उन्होंने दावा किया कि यदि मेरे बयान को चुनाव आयोग अपना ले और इसका खूब प्रचार कर तो मैं आपको यकीन दिलाता हूं दो साल में पार्टियां पैसा बांटना बंद कर देंगी. केजरीवाल ने पत्र में लिखा है, ”मेरे इस बयान से मैं चुनावों में रिश्वतखोरी बदं करने की कोशिश कर रहा हूं. मुझे तो चुनाव आयोग को अपना ब्रांड एम्बेसडर बना लेना चाहिए। देखिए दो सालों में पार्टियां पैसा बांटना बंद न कर दे तों.”