जम्मू-कश्मीर के चुनावी इतिहास में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के कश्मीर घाटी में कम से कम सात नगरपालिका समितियों पर जीत दर्ज करने की संभावना है। करीब सात साल बाद हो रहे स्थानीय निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 60 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है।
दरअसल, महबूबा मुफ्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस चुनाव के बहिष्कार का ऐलान पहले ही कर दिया है। अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नगर निकायों के 624 वार्डों के लिए चार चरणों में मतदान होना है। इनमें से तीन चरणों के नामांकन और नाम वापसी आदि के विवरण सामने आ चुके हैं।
बीजेपी प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि बीजेपी के प्रत्याशी कश्मीर के 60 वार्डों में निर्विरोध जीत चुके हैं। यह संख्या बढ़ भी सकती है। हालांकि इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को लेकर भी काफी विवाद भी हो रहा है।बीजेपी ने पाकिस्तान में ट्रेनिंग लिए एक पूर्व आतंकी को भी निकाय चुनाव में टिकट दिया है।
I was in Jammu Kashmir Liberation Front & Harkat-ul-Mujahideen. After coming out of prison, I formed J&K Human Welfare Organisation for rehabilitation of ex-militants. No one supported me, not even those for whom I picked gun.I didn't know they were only counting notes: Md F Khan pic.twitter.com/uELeqmOnLU
— ANI (@ANI) October 3, 2018
सैफुल्ला का कहना है, ‘मैं जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और हरकत-उल-मुजाहिदीन में था। जेल से बाहर आने के बाद, मैंने पूर्व आतंकवादियों के पुनर्वास के लिए जम्मू-कश्मीर मानव कल्याण संगठन का गठन किया। किसी ने मुझे समर्थन नहीं दिया, यहां तक कि उन्होंने भी नहीं, जिनके लिए मैंने बंदूक उठाई थी। मुझे नहीं पता था कि वे केवल नोट गिन रहे थे।’
सैफुल्ला का कहना है, ‘लोग पहले भी मेरे साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं, लेकिन मैं शांति के लिए काम कर रहा हूं। मैं जीतकर पूर्व-आतंकवादियों के पुनर्वास और उनके बच्चों की शिक्षा पर अपनी कमाई पर खर्च करूंगा… मैंने पुनर्वास नीति पर आत्मसमर्पण नहीं किया है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं नेपाल से नहीं आया था। मैं बहुत लंबा सफर तय करके आया हूं। मैंने साढ़े दस साल की जेल की सज़ा पूरी की है। जो कह रहे हैं कि मैं नेपाल से आया हूं अगर वह माफी नहीं मांगते तो मैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज़ कराऊंगा।’