केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के बीच मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नए डोमिसाइल नियमों का ऐलान करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहने वाला व्यक्ति अब वहां का निवासी कहलाएगा। सरकार की ओर से गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया।
इस मामले में अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कई सवाल उठाए हैं। उमर ने कहा कि यदि भारत सरकार के पास कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच अधिवास कानून जारी करने का समय है तो उन्हें महबूबा मुफ्ती को रिहा करने का समय क्यों नहीं मिल सकता है।
उन्होंने अधिवास अधिनियम जारी करने के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे समय हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान कोरोना वायरस से लड़ने पर केंद्रित होना चाहिए था। उमर ने कहा कि अधिवास कानून इतना खोखला है कि दिल्ली के आशीर्वाद से बनी नई पार्टी जिसके नेता इस कानून के लिए दिल्ली में पैरवी कर रहे थे उन्हें भी इसकी आलोचना करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
If Govt of India has the time to issue a domicile law in the midst of this #COVID crisis why can’t they find the time to release @MehboobaMufti, Sagar Sahib & other leaders unjustly detained? They should be released without further loss of time.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 1, 2020
उमर का इशारा ‘जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी’ के संस्थापक अल्ताफ बुखारी द्वारा अधिवास कानून की आलोचना किये जाने की ओर था। उधर, जेकेएपी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने आरोप लगाया है कि केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास कानून पर बुधवार को जारी केंद्र का आदेश पूर्ववर्ती राज्य के लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कवायद के अलावा और कुछ नहीं है।
बुखारी ने कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा जारी आदेश है इसलिए जम्मू कश्मीर के लिए अधिवास कानून के संबंध में नयी राजपत्रित अधिसूचना को न्यायिक समीक्षा से छूट नहीं है।