फतेहपुर रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर जिसमें पीएम ने हिंदुत्व का कार्ड खेलते हुए हिन्दू-मुस्लिमों को बाँटने की कोशिश की, का जमकर विरोध हो रहा हैं. रविवार को मोदी ने कहा था, ‘गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए, अगर रमजान में बिजली रहती है तो दिवाली में भी बिजली आनी चाहिए.’
इस बयान पर पलटवार करते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमिन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर कहा, ‘400 में एक भी मुसलमान उम्मीदवार नहीं, भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किये. जिसमे उन्होंने बीजेपी द्वारा मुस्लिमों के साथ भेदभाव को गिनाया.
400 mein Ek bhi musalman candidate nahin Bhedbhav nahin hona chahiye https://t.co/1dDSCwguA5
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 19, 2017
उन्होंने आगे लिखा, गोवा में बीफ उपलब्ध, महाराष्ट्र में बीफ बैन, भेदभाव नहीं होना चाहिए. जकिया जाफरी और नजीब की मां को इंसाफ मिलना चाहिए, यह भेदभाव नहीं होना चाहिए. आंगनवाड़ी का बजट माइनस हो गया, देश के मासूम गरीब बच्चों से भेदभाव नहीं होना चाहिए.
'हिंदू-मुस्लिम' के नाम पर जनता को बाँटने का नतीजा यह देश एक बार 1947 में देख चुका है। क्या मोदी देश को वहीं वापस ले जाना चाहते हैं?
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 19, 2017
वहीँ सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने तो प्रधानमंत्री मोदी पर बंटवारे की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘हिंदू-मुस्लिम के नाम पर जनता को बांटने का नतीजा यह देश एक बार 1947 में देख चुका है. क्या मोदी देश को वहीं वापस ले जाना चाहते हैं?’ उन्होंने कहा कि लोगों को रोजगार चाहिए, बेहतर जीवन और रोजी-रोटी चाहिए न कि श्मशान या कब्रिस्तान चाहिए. येचुरी ने मोदी के बयान को प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराने वाला बताया.’