बुधवार को AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि अगर नरेंद्र मोदी सरकार मुसलमानों के सशक्तिकरण के बारे में चिंतित है, यह समुदाय के लिए आरक्षण और मांग आधारित छात्रवृत्ति प्रदान करने जैसे ठोस कदम उठाएं.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता ने कहा, मोदी सरकार वास्तव में अल्पसंख्यकों, के बारे में चिंतित है तो इसे साबित करने के लिए गौरक्षकों पर प्रतिबंध लगाकर दिखाए.
हैदराबाद से लोकसभा सदस्य मीडिया को बताया कि समुदाय के सशक्तिकरण में रचनात्मक कदम में मदद मिलेगी ना कि पंचायत करने से. उनकी ये प्रतिक्रिया मोदी सरकार के मुस्लिम पंचायत के फैसले पर थी.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र जिस राज्य में पंचायत लगाने जा रही हैं वहां एक नाबालिग सहित दो मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और दो मुस्लिम युवकों गोमांस खाने के आरोप में हत्या की गई. उन्होंने कहा, हरियाणा में मुसलमानों को बिरयानी जाँच के नाम पर परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गुड़गांव में पांच सितारा होटल में छापे मारकर बिरयानी की जांच करते.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा अल्पसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयानों को रोक कर अपनी ईमानदारी साबित करना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों के सशक्तिकरण मोदी सरकार का संवैधानिक कर्तव्य था और वह समुदाय के लिए एक एहसान नहीं कर रही थी.
AIMIM नेता ने मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार महाराष्ट्र में मुसलमानों को पांच प्रतिशत कोटा की मांग भी की. उन्होंने पूछा “तुम हरियाणा में जाटों को नौकरी कोटा दे रहे हो, राजस्थान में और गुजरात में पटेल को. तो फिर महाराष्ट्र में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए मुसलमानों को आरक्षण देने से कों रोक रहा है करने के लिए ,”
ओवैसी ने कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में पंचायत लगानी चैये जहाँ लगभग 90 लोगों की मौत हो गई है और शांति लगभग तीन महीने से हिंसा जारी हैं. ऐसे में उनसे बात करने की तत्काल आवश्यकता नहीं थी.