छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के घर के बाहर आईबी के चार संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदीसरकार राफेल ‘घोटाले’ को ‘दबाने’ के लिए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की ‘जासूसी’ करा रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘सीबीआई को सेंट्रल बरियल ऑफ इन्वेस्टिगेशन बना दिया गया है। मोदी सरकार अब और निचले स्तर पर चली गई है और आईबी के जरिए सीबीआई डायरेक्टर की जानबूझकर जासूसी करा रही है।’’
CBI चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया।
प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा- हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा।
देश और संविधान खतरे में हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 24, 2018
वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने आरोप लगाया कि ‘राफेल-ओ-फोबिया’ से पीड़ित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीबीआई की जासूसी और निगरानी में शामिल हैं। इन आरोपों पर प्रधानमंत्री कार्यालय से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। खड़गे ने वर्मा को हटाए जाने पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है।
#WATCH: Earlier visuals of two of the four people (who were seen outside the residence of #AlokVerma) being taken for questioning. #CBI #Delhi pic.twitter.com/2KnqNfrnH0
— ANI (@ANI) October 25, 2018
खड़गे और सिंघवी ने आरोप लगाया कि खुफिया ब्यूरो ‘ऐसे अधिकारी की जासूसी कर रहा था जो राफेल घोटाले में संदेहास्पद लेन-देन का खुलासा करने वाले थे।’ केंद्र सरकार ने मंगलवार रात सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को जबरन छुट्टी पर भेज दिया। दोनों ने एक-दूसरे पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए थे। अंतरिम व्यवस्था के लिए ज्वाइंट डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव को डायरेक्टर का जिम्मा सौंपा गया है।
सीबीआई चीफ आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होनी है। याचिका में वर्मा ने दलील दी कि उन्हें हटाना डीपीएसई एक्ट की धारा 4बी का उल्लंघन है। डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल तय है। प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई की कमेटी ही डायरेक्टर को नियुक्त कर सकती है। वही हटा सकती है। इसलिए सरकार ने कानून से बाहर जाकर निर्णय लिया है। कोर्ट ने बार-बार कहा है कि सीबीआई को सरकार से अलग करना चाहिए। डीओपीटी का कंट्रोल एजेंसी के काम में बाधा है।