उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24-25 फरवरी को हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा मामले की जांच के लिए कांग्रेस की ओर से गठित पांच सदस्यीय टीम ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है। रिपोर्ट सौंपने के बाद कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को भड़काऊ बयान (हेट स्पीच) देने के आरोपी भाजपा नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज करने और हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की।
दिल्ली हिंसा पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस के नेता मुकुल वासनिक ने सोमवार को कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान जज से न्यायिक जांच की मांग करते हैं। हिंसा में हर पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि उन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई जिन्होंने कुछ नहीं किया। कांग्रेस का कहना है कि भड़काऊ भाषण देने वाले के खिलाफ कार्रवाई हो।
उन्होंने BJP पर धुव्रीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करना बीजेपी की बुनियादी मान्यता है। लोगों का कहना था कि दंगो में इसकी भी बड़ी भूमिका है। यह अर्थव्यवस्था की खराब हालत, बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने की बीजेपी की कोशिश हो सकती है। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे हैं इसलिए कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की है।
Mukul Wasnik, Congress: We demand that an FIR be registered against Union Minister Anurag Thakur, BJP leaders Kapil Mishra & Parvesh Verma (for their speeches during Delhi polls). We also demand judicial inquiry in supervision of a sitting judge of High Court or Supreme Court. https://t.co/AcfuMB5M2X pic.twitter.com/fwGxxsiZze
— ANI (@ANI) March 9, 2020
कांग्रेस नेता ने कहा कि दिल्ली चुनाव में अमित शाह ने अपने भाषण में शाहीन बाग को करंट लगाने की बात कही। अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा के भड़काऊ भाषण सबके सामने है, लेकिन आज तक भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर FIR नहीं हुई। अगर हम कहें कि एक बार फिर सरकार राजधर्म निभाने में पूरी तरह फेल हुई तो गलत नहीं होगा। हम बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा पर बिना देरी किए FIR दर्ज करने की मांग करते हैं।
कांग्रेस नेता ने मांग की है कि दिल्ली हिंसा की जांच के लिए दो SIT बनी है लेकिन हम मांग करते हैं कि स्वतंत्र न्यायिक जांच हो ताकि दंगों की सच्चाई सामने आ सके। जिन पुलिस वालों ने अपनी ड्यूटी नहीं की उनपर कार्रवाई हो। लोगों ने कहा कि पुलिस मूकदर्शी बनी रही। दोनों समुदायों के बीच में पैदा हुई दूरी के मद्देनजर महिलाओं और बच्चों की काउंसलिंग शुरू हो। दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में लोगों ने भरोसा दिखाया, लेकिन दंगो के दौरान केजरीवाल ने जिम्मेदारी से कोई भी कदम नहीं उठाया। आज भी राहत और पुनर्वास के काम में दिल्ली सरकार नाकाम नजर आ रही है।
उधर, हिंसा मामले में अब तक 702 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने हिंसा से जुड़े मामलों में अब तक 2,387 लोगों को हिरासत में लिया है तो 100 से अधिक की गिरफ्तारी भी की गई है, जबकि आर्म्स आक्ट के तहत 49 मामले दर्ज किए गए हैं।