त्रिपुरा में 25 साल पुरानी वाम सत्ता को एक झटके में हटाते हुए बीजेपी ने 35 सीटें जीती है. भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन को 59 सीटों में से 43 सीटों पर जीत मिली है. इस जीत के पीछे राज्य प्रभारी सुनील देवधर का बहुत बड़ा हाथ है.
जन्म से मराठी सुनील देवधर को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी वाराणसी भेजा था. उनकी काबिलियत को मद्देनजर रखते हुए उन्हें त्रिपुरा की कमान सोंपी गई थी. पार्टी की जीत के बारे मेंसुनील देवधर ने हिंदी न्यूज़ चैनल आज तक को बताया कि राज्य में संगठन खड़ा करने के लिए उन्होंने खुद पर बहुत काम किया.
उन्होंने कहा कि मैंने जो पहला काम शुरू किया वह था जनजातियों का मफलर यानी गमछा पहनना. उसके बाद मैंने अपनी फूड हैबिट तक बदल दी. बीजेपी नेता ने बताया कि उन्हें यहां पोर्क यानि सूअर का मांस भी खाना पड़ा. उन्होंने बताया, मैं नॉनवेज पहले से खाता था पर मैंने पोर्क खाना त्रिपुरा में ही शुरू किया. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र से आकर यहां ये सबकुछ करना आसान नहीं था.
देवधर ने बताया, मैं यहां आने से पहले थोड़ी बहुत बंगाली जानता था, लेकिन यहां आने के बाद मैंने उस पर अच्छे से काम करना शुरू किया. बंगाली सीखने के लिए मैंने ट्यूटर रखा. रोज मेहनत की. बंगाली गाने सुनता था. जनजातीय भाषा सीखने के लिए भी अलग ट्यूटर रखा, हालांकि यह अनियमित था. ट्रांसलेटर भी रखा. जो देवनागरी स्क्रिप्ट में जनजातीय भाषा में स्पीच ट्रांसलेट करके देता था. लोगों से जुड़ने में इन चीजों ने काफी मदद की.
बीफ को लेकर उन्होंने कहा, त्रिपुरा में इसका कोई असर नहीं दिखा. हम बस बांग्लादेश से पशुओं की अवैध तस्करी की खिलाफत कर रहे थे. त्रिपुरा में 90 प्रतिशत हिंदू हैं और वो बीफ नहीं खाते. सीपीएम ने मुस्लिमों में जरूर दुष्प्रचार किया.