नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा में भी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी NPR और NRC के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने आज प्रस्ताव पेश कर दिया। इस पर पर चर्चा करते वक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में कहा है कि मेरी कैबिनेट के पास नहीं है जन्म प्रमाण-पत्र न ही मेरे पास जन्म प्रमाण-पत्र है।
वहीं आप सरकार में मंत्री गोपाल राय ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि एनपीआर से देश में ज्यादातर लोग परेशान होंगे। राय ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह चाहे जो भी आश्वासन दें, लेकिन वे एनपीआर के 2003 के नियमों के तहत बाद में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) लाकर रहेंगे।
राय ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने नागरिकता कानून में बदलाव किया था, जिसके आधार पर यह तय हुआ था कि एनपीआर का डेटा नागरिकता के साथ जोड़ा जाएगा। इसी के तहत बाद में वेरीफिकेशन की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। संदिग्ध लोगों का डेटा डाउटफुल (डी) के वर्ग में रखा जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि एनपीआर में कोई डी कैटेगरी नहीं होगी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि वे सिर्फ 2003 के नियम अपना रहे हैं और यह नियम कहते हैं कि एनपीआर के डेटा के आधार पर ही एनआरसी के लिए जानकारी जुटाई जाएगी।”
Delhi Minister Gopal Rai moves resolution in the Assembly against the implementation of the process of National Population Register (NPR) enumeration in Delhi. pic.twitter.com/qn4tO2UobL
— ANI (@ANI) March 13, 2020
इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने कहा कि एनपीआर का एक ही उद्देश्य है कि इसे एनआरसी में बदल दिया जाएगा। एनपीआर के जरिए केंद्र सरकार पीछे के दरवाजे से एनआरसी लाने की कोशिश कर रही है।
राघव चड्ढा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि एक पुराना एनपीआर 2010 का और एक 2020 का एनपीआर है। पुराने वाले में मात्र 13 जानकारियां ली गई है। 2020 वाले में जनता से 21 जानकारियां मांगी जा रही है, जिसमें सबसे खतरनाक जानकारी उनके माता पिता का जन्म प्रमाण पत्र। यदि किसी के पास ये नहीं है तो वो व्यक्ति संदिग्ध माना जाएगा। चड्ढा ने कहा कि आज भी देश में बच्चे घरों में पैदा होते हैं। आज भी इस देश में बहुत बड़ी आबादी के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। असम के अंदर डिटेंशन सेंटर की तस्वीरें भी राघव चड्ढा ने पेश की जो अभी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के घटक दलों ने भी इस कानून को स्वीकार नहीं किया गया है। बिहार में इसके खिलाफ प्रस्ताव पास किया है जहां इनकी गठबंधन सरकार है। शिरोमणी अकली दल, एआईएडीएमके जैसे इसके साथियों ने भी इसका विरोध किया है।
दिलीप पांडे ने कहा कि असल मुद्दों से भटकाने के लिए केंद्र सरकार ये कानून ला रही है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि एनपीआर एनआरसी कराएंगे, लेकिन इसके लिए पैसे कहां से लाएंगे। डिटेंश सेंटर में लोगों को डालने के लिए पैसे कहा से आएंगे? इनते डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए कहां से पैसा लाएंगे? जो लोग बाहर कर दिए जाएंगे उनके साथ क्या किया जाएगा?