मुफ़्ती मुहम्मद आरिफ रज़ा
इस कांफ्रेंस से आम सुन्नी या मुस्लिम वर्ग को क्या फ़ायदा हुआ यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा मगर इसी बीच कुछ फ़ायदे और कुछ नुकसान गिने जा सकते हैं !
कुछ फ़ायदे:-
1. इस्लाम और सुफिस्म एक दम से चर्चा में आया!
2. प्रधानमंत्री मोदी की जुबान से इस्लाम की तारीफ की गयी जिससे चारो तरफ एक पैगाम गया की सरकार इस्लाम के बारे में सही सोचती है! यह बात अलग है वह क्या करती है!
3. मुख्यधारा में सुफिस्म के अमन और मुहब्बत के पैगाम के आने से हिंसक आन्दोलन कट्टर वर्ग दबाव में आये!
4. सूफी सुन्नी उलेमा को मीडिया में अपनी बात रखने का बड़ा मौका मिला!
5. विश्व स्तरीय उलेमा के आने से हिंदुस्तान में अवाम को उनको जानने समझने का मौका मिला!
6. सूफी सुन्नी तंजीम की मान्यता बढ़ी! सैयेद मुहम्मद अशरफ किछोछवी एक बड़े लीडर बनकर सामने आये!
7. दरगाह आला हज़रत ने राजनितिक तौर पर बेबाकी से मोदी हुकूमत से गले लगना कुबूल नहीं किया और दरगाह से खुलेआम आरएसएस की चाल में न आने की अपील जारी हुई!
8. इस्लामी दुनिया में अल्लामा साकिब शामी जैसा अक़लमंद और बेबाक आलिम सामने आया !
नुक्सान :-
1. सुन्नी जमात में अच्छा खासा तिफरका फैला गया ! अवाम मुरीद उलेमा सब इख्तेलाफ़ का शिकार हुए
2. बोर्ड को हुकूमत का सपोर्ट मिला यह बात उन्होंने मानी, मगर उलेमा और अवाम में उसकी ताक़त बहुत कम रह गयी, यह बात मजमे ने साबित कर दी!
3. बड़ी भीड़ की वजह से जो असर हिंदुस्तान की राजनीती पर पड़ सकता था वह नहीं पड़ पाया!
4. बोर्ड ने खुलकर वहाबियत की मज्जमत नहीं की जैसा कि हमेशा करते आये हैं ! इसकी बेहतर वजह वही बता सकते हैं
5. सुफिस्म का पैगाम आया मगर कहीं न कहीं बड़े खर्च और आर एस एस की परछाई से यह कांफ्रेंस नहीं निकल पायी!
6. अशरफी भी उलेमा मशाइख बोर्ड से अलग हैं यह बात बड़े अशरफी उलेमा की गैर हाज़िरी और सिलसिले की बहुत कम तादाद ने साबित कर दी! जिसका असर कांफ्रेंस में पड़ा !
7. कांफ्रेंस में बड़े सुन्नी वर्ग की नाराज़गी ने कांफ्रेंस को महदूद कर दिया! ज़मीन से लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में कांफ्रेंस की काफी मज्ज़म्मत हुई जिसका काफी असर देखने को मिला!
8. सुन्नी सूफी वर्ग का एक हिस्सा कहीं न कहीं आरएसएस से मिलकर चला यह मेसेज जाने से आम लोगों में सूफी सुन्नी जमात की गलत तस्वीर गयी !