सलाम! बेटी की शादी के पैसों से की किसान की मदद

महाराष्ट्र में सूखे से परेशान किसानों की हालत देखते हुए ठाणे के एक परिवार ने अपनी बेटी की शादी में होने वाले खर्च में कटौती करके छह लाख रुपये की रकम जालना और नांदेड़ के गांवों को दान कर दी। ऐसा करने वाला वाडके परिवार अकेला नहीं है। पारेल में रहने वाले रेलवे इंजिनियर बिमन विश्वास भी अपनी 40 प्रतिशत सैलरी 700 किलोमीटर दूर रह रहे किसानों को हर महीने दान कर रहे हैं। ये दोनों मिसालें बताती हैं कि राज्य शहरी इलाकों में रहने वाले लोग किसानों की हालत को लेकर कितने संवेदनशील और चिंतित हैं।

पेशे से केमिकल इंजिनियर विवेक वाडके (59) और उनके परिवार ने बेटी की शादी के खर्च में कटौती कर मराठवाड़ा के दो सूखाग्रस्त गांवों को दान कर दूसरों के लिए मिसाल पेश की है। यह इलाका राज्य में आए सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां अब पानी का केवल 8 प्रतिशत स्टॉक ही बचा है।

 तस्वीर: परिवार के साथ विवेक वाडके

विवेक और उनका परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ग्राम विकास शाखा के माध्यम से सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहा है। उन्होंने तय किया कि वे शादी में होने वाली साज-सजावट और दूसरे गैरजरूरी खर्च नहीं करेंगे। इस तरह उन्होंने 6 लाख रुपये बचा लिए जिसे उन्होंने दो गांवों को दान कर दिया। यह पैसा उन नदियों का कीचड़ साफ कर और उन्हें चौड़ा करने के काम में लगाया जाएगा जो इन गांवों से गुजरती हैं ताकि उनमें मॉनसून के वक्त ज्यादा पानी इकठ्ठा किया जा सके।

विवेक कहते हैं, ‘हम राज्य के हालात का पता था। हम शादी के सजावट में पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे।’ उनकी बेटी जाई एक बायो-इन्फॉर्मेटिक ग्रैजुएट हैं। गत 24 दिसंबर को जाई की शादी वायुसेना में फाइटर पायलट तेजस से हुई जिसके बाद उन्होंने खुद जाकर गांव वालों को दान की रकम सौंपी। वाडके ने कहा, ‘गांव जाने के बाद हमें लगा कि यह पैसा नदियों को गहरा और चौड़ा करने के काम में लगाया जा सकता है ताकि मॉनसून में पानी इकठ्ठा करने की उनकी क्षमता बढ़ाई जा सके।’

वहीं सेंट्रल रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजिनियर के रूप में कार्यरत बिमन विश्वास अपनी सैलरी की 40 प्रतिशत रकम मराठवाड़ा के 10 किसानों और उनके परिवारों को दान कर रहे हैं। शुरुआत में उन्होंने दो किसानों की मदद की। बाद में जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके ऐसा करने से परिवारों को सुरक्षा मिल रही है तो उन्होंने ज्यादा लोगों की मदद करना शुरू किया।

बिमन कहते हैं, ‘मेरी सभी छुट्टियां यवतमाल और बीड़ के गांवों के दौरे में लग गईं। किसान आत्महत्या का मुद्दा सूखा, उचित मूल्य, खेती से जुड़े कामों के विषय से अलग है।’ रिटायर्ड होने के बाद विश्वास अपना समय किसानों के साथ काम करने में लगाएंगे। किसानों और उनके परिवारों के साथ अपने अनुभव पर बात करते हुए बिमन भावनात्मक हो गए। उन्होंने कहा कि पांच हजार रुपये की रकम एक किसान को आत्महत्या करने से दूर ले जाती है। वह कहते हैं, ‘हम दान के लिए छोटी-छोटी रकम बचा सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को किसान परिवारों की मदद करना शुरू करना चाहिए।’ (नवभारत टाइम्स)

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