शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा का दर्द छलका, आडवाणी सिर्फ मुस्कुराते रहे

Sinha and Yashwant Sinha pain spills, Advani're just smiling

नई दिल्ली,भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों को चुने जाने में अलग अलग मानदंड अपनाए जाने की आलोचना की और मार्गदर्शक मंडल की अवधारणा का उपहास किया जिसमें बुजुर्ग नेताओं को शामिल किया गया है।

पार्टी सांसद सिन्हा की जीवनी के विमोचन के मौके पर मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी के साथ मंच साझा करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न मानकों का हवाला दिया।

आडवाणी की मुस्कुराहट के बीच सिन्हा ने मागर्दशक मंडल का भी व्यंग्यपूर्वक हवाला देते हुए कहा कि यह एक चुनिंदा क्लब है जिसके वह सदस्य नहीं हैं और इसकी कभी बैठक नहीं हुयी।

एक बार फिर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोग जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो गयी, वे ब्रेन डेड हैं और मैं लगातार यह जताने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं निष्क्रिय नहीं हूं। परोक्ष रूप से वह 75 साल से अधिक के सदस्य को मंत्री नहीं बनाने के फैसले का हवाला दे रहे थे।

आडवाणी ने शत्रुघन सिन्हा को अफसोस जताया जिन्होंने अपनी किताब में तीसरी बार उन्हें राज्यसभा नहीं भेजने के पार्टी के फैसले लिए वरिष्ठ नेता को दोषी ठहराया। इसकी बजाए उन्हें 2009 में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया जहां उन्हें जीत हासिल करनी थी।

आडवाणी ने कहा, मेरा मानना है कि उस समय एक व्यक्ति को दोबारा राज्यसभा भेजा जाता था। कुछ लोगों को चिन्हित किया जा सकता है क्योंकि कहा जाता है कि उनके मामले में कि लोकसभा चुनाव जीतना उनके लिए आसान नहीं होगा।

उन्होंने कहा, चूंकि वो व्यक्ति चुनाव के लिए आम लोगों से वाकिफ नहीं थे इसलिए पार्टी के आधार पर चुना जाता था। इसलिए ऐसी धारणा है कि जो लोकप्रिय है और जो लोकसभा जीत सकता है अमूमन उन्हें राज्यसभा टिकट नहीं दी जाती। इसलिए यह हर किसी पर लागू होता है।

आडवाणी के दृष्टिकोण पर यशवंत ने कहा कि पार्टी में लोगों ने चर्चा की कि इस तरह का नियम उन पर (शत्रुघन) लागू होता है लेकिन दूसरों पर नहीं।

साभार http://www.livehindustan.com/

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