नई दिल्ली (7 जनवरी):शायद एक बार फिर देश के लोगों के लिए अच्छी खबर आ सकती है। क्योंकि दुनियाभर में कच्चे तेल के दाम गुरुवार को 33 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गए हैं। 11 सालों में पहली बार हुआ है कि कच्चे तेल के दाम इतने नीचे तक चले गए हैं।
तेल के दामों में गिरावट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिया बाहुल इरान और सुन्नी बाहुल सऊदी अरब के बीच तनाव के चलते हुई है। दोनों देश दुनिया में सबसे ज्यादा तेल का उत्पादन करते हैं। कच्चे तेल की गिरती कीमतों के चलते देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में 2 से 3 रुपये प्रति लीटर की कटौती हो सकती है। यही नहीं, विमानन की टिकटों में 15 प्रतिशत की कटौती हो सकती है।
कच्चे तेल की कीमतें मध्य 2014 से अबतक 70 प्रतिशत तक गिर चुकी हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से पेंट, टायरों कीमतों में कमी आ सकती है। दामों में कमी से इन सेक्टरों में कच्चे माल की लागत घटती है और कंपनी के मार्जिन बढ़ते हैं। यहीं नहीं, तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी कर उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचा सकती हैं।
वर्ष 2012 में सरकार ने कच्चा तेल खरीदने में 108 अरब डॉलर खर्च किए। पिछले 12 महीनों में कच्चा तेल खरीदने में खर्च हुए 61 अरब डॉलर, कुल मिलाकर सरकार को 47 अरब डॉलर की बचत हुई है।