नई दिल्ली | नोट बंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुक्सान हुआ है. विशेषज्ञों ने पहले ही इस बात की आशंका व्यक्त की थी की नोट बंदी देश की अर्थव्यवस्था को दस साल पीछे ले जा सकती है लेकिन मोदी सरकार यह मानने को बिलकुल भी तैयार नही थी. खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई प्रेस कांफ्रेंस कर इन आशंकाओ को ख़ारिज किया. उन्होंने कहा था की इससे देश की जीडीपी में उछाल आएगा.
हालाँकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में कहा था की इससे देश की जीडीपी करीब दो फीसदी तक गिर जाएगी. बुधवार को उन सभी आशंकाओं पर सरकार की रिपोर्ट ने भी मोहर लगा दी. सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 के जो आंकड़े जारी किये है उनके अनुसार देश की जीडीपी 7.9 फीसदी से घटकर 7.1 फीसदी पर आ गयी. इसके अलावा देश के 8 कोर सेक्टर में भी भारी गिरावट दर्ज की गयी है.
खासकर वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में जीडीपी में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है. जनवरी से मार्च के दौरान जीडीपी ग्रोथ महज 6.1 फीसदी पर सिमटकर रह गयी जिसकी वजह से भारत के सर से , सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था का ताज भी छीन गया. चीन ने इस दौरान 6.9 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की इसलिए उसने यह तमगा वापिस हासिल कर लिया है.
उधर देश के 8 कोर सेक्टर में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है. पिछले साल 8.7 फीसदी की तुलना में इस साल यह केवल 2.5 फीसदी पर आकर ठहर गयी. इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में भी गिरावट देखने को मिली है. बीते साल 12.7 फीसदी की ग्रोथ से आगे बढ़ रहा यह सेक्टर 5.3 फीसदी पर आकर रुक गया. देश में यह सेक्टर सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करता है इसलिए सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चिंता का विषय है.
#Growth in eight #core sectors slows to 2.5 pc in April as against 8.7 pc a year ago.
— Press Trust of India (@PTI_News) May 31, 2017