बंगलौर | नोट बंदी के बाद अगर आप यह सोच रहे है की देश का गरीब, आम आदमी , किसान और मजदूर परेशान है और बड़े लोग इससे अछूते है तो आप गलत है. देश का हर इंसान आज नोट बंदी से परेशान है, चाहे वो आम आदमी हो या ख़ास आदमी. इसका उदहारण देखने को मिला कर्णाटक में. जहाँ केन्द्रीय मंत्री तक से निजी अस्पताल ने पुराने नोट लेने से मना कर दिया.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियांवयन मंत्री सदानंद गौड़ा को नोट बंदी के बाद अस्पताल की मनमानी का शिकार होना पड़ा. मंगलोर के एक निजी अस्पताल में सदानंद गौड़ा के भाई भास्कर गौड़ा भर्ती थे. उनको पीलिया होने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था. मंगलवार को सदानंद गौड़ा के भाई की मृत्यु हो गयी. जब अस्पताल के खर्चे का भुगतान करने सदानंद गौड़ा अस्पताल पहुंचे तो यहाँ उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.
निजी अस्पताल ने मंत्री जी से पुराने नोट लेने से मना कर दिया. हालांकि मंत्री जी ने अस्पताल से कहा की सरकार ने अस्पताल को पुराने नोट लेने के लिए अधिकृत किये हुए है तो अस्पताल ने उनसे कहा की केवल सरकारी अस्पतालों को यह छूट दी गयी है. सदानंद गौड़ा ने काफी जोर लगाया लेकिन अस्पताल ने उनकी एक न सुनी. अंत में सदानंद गौड़ा को चेक से ही भुगतान करना पड़ा. इसके बाद ही मंत्री जी को भाई की डेड बॉडी सौपी गयी.
अस्पताल के इस रवैया से दुखी हुए सदानंद गौड़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा की अगर एक केन्द्रीय मंत्री के साथ यह सलूक किया जा रहा है तो आम आदमी के साथ कैसा बर्ताव किया जा रहा होगा. मैं इस समस्या को सरकार के सामने उठाऊंगा. इतना होने के बाद भी सदानंद गौड़ा यह मानने के लिए तैयार नही हुए की सरकार ने केवल सरकारी अस्पतालों को पुराने नोट लेने की छूट दी है.