बरेली | मुरादाबाद की परिवर्तन रैली में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था की नोट बंदी के फैसले से अमीरों की नींद उडी हुई है. वो अब गरीबो का इस्तेमाल कर अपना कालाधन सफ़ेद कर रहे है. इसके लिए जनधन खातो का इस्तेमाल हो रहा है. मैं सभी जनधन खाताधारको से अपील करता हूँ की वो इन पैसो को न लौटाए. अगर आप इन पैसो को रखे रहोंगे तो मैं दिमाग लगा रहा हूँ. मैं चाहता हूँ बेईमान जेल में जाए और उनका पैसा गरीब के घर.
हालांकि एक बारगी मोदी की यह अपील आपको बहुत लुभावनी लगी होगी. आखिर पैसे किसको बुरे लगते है. सबको लगा की जनधन खातो में जमा हुआ पैसा अब उन गरीबो को ही मिलेगा जिनके खाते में वो पैसा जमा है. लेकिन क्या ऐसा हो सकता है? वो शख्स जिसने अपना पैसा जनधन खाते में डाला है, क्या वो उस पैसे को आसानी से जाने देगा?
इसके अलावा सवाल यह भी है की क्या किसी ने ऐसी किसी जनधन अकाउंट में पैसा डाला होगा, जिसको वो जानता नही. ज्यादातर पैसे उन जनधन खातो में आये होगे, जो किसी के यहाँ मजदूरी कर अपना गुजर बसर कर रहे है. ऐसे आमिर लोग जिनके यहाँ वो नौकर लगे हुए है. तो क्या उन पैसो को न लौटकर वो विद्रोह नही करेगे. ऐसे में उनका मालिक उनके साथ क्या करेगा, यह तो वक्त ही बतायेगा.
उत्तर प्रदेश के बरेली के एक गाँव में जब कुछ लोगो से बात की गयी तो एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करने वाले ड्राईवर ने बताया की मोदी जी ने जो अपील की है वो असल में पूरी नही हो सकती. हम चाहते हुए भी पैसे अपने पास नही रख सकते क्योंकि जब हमारे ट्रांसपोर्टर ने मेरे जनधन खाते में पैसे डलवाए तो उन्होंने हमारी पासबुक के साथ कुछ निकासी फॉर्म पर हस्ताक्षर ले लिए. इसके अलावा अगर हम पैसे निकालने से मना कर देते है तो हमारी नौकरी चली जाएगी.
यह दास्तान केवल एक ड्राईवर की ही नही है बल्कि गाँव में काम करने वाले मजदूर अपने मालिको के अधीन रहते है. अगर ये लोग पैसे निकालने से मना करते है तो इनको पुरे गाँव में कही काम नही मिलेगा जिससे इनके भूखे मरने के हालात हो जायेंगे. इसलिए अगर मोदी जी चाहे भी तो जनधन खाता धारक वो पैसे अपने पास नही रख सकते.