नई दिल्ली – केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मंदिर ट्रस्ट की खिंचाई की है। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि हिंदू धर्म में महिला और पुरुष अलग-अलग धार्मिक समूह नहीं हैं और एक हिंदू, हिंदू होता है चाहे वह पुरुष हो या महिला।
बता दें कि सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म की आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पिछले सैकड़ों सालों से रोक है। हालांकि, रजोनिवृत्ति की अवस्था में पहुंचने वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। इसी रोक को हटाने को लेकर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट से सवाल किया, ‘अगर किसी धार्मिक समूह को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत है तो महिलाओं के प्रवेश पर क्यों रोक लगाना चाहिए?’
पहले भी सुनवाई के दौरान जजों द्वारा कहा जा चुका है कि मंदिर में महिलाओं को पूजा की इजाजत नहीं देना, समानता के उनके संवैधानिक अधिकार का हनन है। सोमवार को कोर्ट ने कहा था कि आखिर महिलाओं को मंदिर में जाने से कैसे रोका जा सकता है। कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए सवाल किया था कि क्या परंपरा संविधान से ऊपर है। सबरीमाला में महिलाओं के बैन का यह मामला 10 साल से कोर्ट में विचाराधीन है।
गौरतलब है कि इससे कुछ दिन पहले ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि महिलाओं को उन सभी मंदिरों में प्रवेश की इजाजत होनी चाहिए जहां पुरुषों को इजाजत है। कोर्ट ने शनि शिंगणापुर मंदिर मामले में यह आदेश दिया था। इसी के बाद महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश कर करीब 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ा था।