पुणे | हाल ही में देश की यूनिवर्सिटी अपने अजीबो गरीब फैसले के कारण सुर्खियों में रही है. चाहे वाराणसी के बनारस हिन्दू विश्वविधालय में छात्राओं के ऊपर लाठीचार्ज करना हो या फिर दिल्ली के जवाहर लाल विश्वविधालय में छात्रों पर बिरयानी बनाने को लेकर जुर्माना लगाने का फैसला. अब इस कड़ी में पुणे की सावित्री बाई फुले विश्विधालय का नाम भी जुड़ गया है. यहाँ विश्वविधालय की और से जारी एक सर्कुलर पर विवाद छिड गया है.
विश्वविधालय की और से जारी सर्कुलर में गोल्ड मैडल पाने के लिए कुछ शर्तो रखी गयी है. इनमे एक शर्त शाकाहरी होना भी है. सर्कुलर के अनुसार केवल शाकाहरी छात्र ही गोल्ड मैडल पाने के अधिकारी होंगे. विश्वविधालय के इस सर्कुलर के ऊपर अब राजनीती भी शुरू हो गयी है. कई छात्र संघ यूनिवर्सिटी के फैसले का विरोध कर रहे है. हालाँकि यूनिवर्सिटी का कहना है की यह हमारा फैसला नही है.
मिली जानकारी के अनुसार 31 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी ने एक सर्कुलर जारी किया. इसमें महर्षि कीर्तंकर शेलार मामा गोल्ड मेडल पाने के लिए कुछ शर्तो का उल्लेख किया गया. इसके लिए 10 शर्ते रखी गयी जिनमे से एक शर्त शाकाहारी होने की भी है. हालाँकि अन्य शर्तो में नशा ना करना, योग, प्राणायाम करना आदि भी शामिल है. सर्कुलर जारी होने के साथ ही छात्र संगठन इसके विरोध में उतर आये.
शिवसेना और एनसीपी के छात्र संगठनो ने सर्कुलर पर भारी नाराजगी जाहिर की. शिवसेना के युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने कहा की कोई भी यह तय नही कर सकता की हम क्या खायेंगे. यूनिवर्सिटी को केवल पढाई पर ध्यान देना चाहिए. उल्लेखनीय है की योग महर्षि रामचंद्र गोपाल शेलार और त्यागमूर्ति श्रीमति सरस्वती रामचंद्र शेलार के नाम पर योग गुरु ट्रस्ट हर साल छात्रों को मैडल देता है.