लखनऊ | उत्तर प्रदेश में नयी सरकार का गठन होने के करीब दो महीने बाद विधानसभा का पहला सत्र आहूत किया गया. लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से राज्यपाल के अभिभाषण के बाद ही विधानसभा को दिन भर के लिए स्थगति कर दिया गया. कुछ ऐसा ही सूरते हाल विधान परिषद् का भी देखने को मिला. यहाँ भी विपक्षी दलों के विधयाको ने वेल में आकर हंगामा किया.
सोमवार को 17वी विधानसभा के गठन के बाद विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ. लेकिन सत्र शुरू होते ही विपक्षी दलों ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर हंगामा शुरू कर दिया. विपक्षी दल लगातार सरकार से कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट कार्ड पेश करने की मांग कर रही थी. इस दौरान सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी भी की गयी. यही नही राज्यपाल के अभिभाषण के समय भी यह हंगामा जारी रहा.
राज्यपाल राम नाईक ने हंगामे के बीच ही अपना अभिभाषण पढ़ा. इस दौरान उन पर कागज़ भी फेंके गए . हंगामा कम न होता देख स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित कर दिया. विपक्षी दलों के रुख से नाराज कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा की पूर्व की समाजवादी सरकार में प्रदेश की कानून व्यवस्था का क्या हाल था यह सबको पता है. समाजवादी पार्टी पांच साल में कानून व्यवस्था को पटरी पर नही ला सकी और हमसे 50 दिन में ही हिसाब मांग रही है.
सिद्धार्था नाथ सिंह ने उम्मीद जताई की विपक्ष आने वाले समय में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगा. हालाँकि सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों की बैठक बुलाई गयी थी. जिसमे सभी दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. बैठक के बाद से यह स्पष्ट हो चूका था की विपक्ष सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जरुर घेरने की कोशिश करेगा. दरअसल पिछले दो महीने में प्रदेश के बुलंदशहर, सहारनपुर, संभल और गोंडा में साम्प्रदायिक हिंसा हो चुकी है. जिस पर विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा था.
Pandemonium in Uttar Pradesh assembly over law and order situation in the state. pic.twitter.com/vHzuFIafRZ
— ANI UP (@ANINewsUP) May 15, 2017