राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के देश भर में हो रही गिरफ्तारी को लेकर लोगों में विरोध देखने को मिल रहा है। इसी बीच मोदी सरकार ने सोमवार को संसद में इस बारे में जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी (G. Kishan Reddy) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वर्ष 2018 की नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सभी राज्यों में से मध्य प्रदेश ने वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में रासुका के तहत सबसे अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया और उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान आता है।
उन्होंने कहा कि इस सख्त कानून के तहत वर्ष 2017 में देश के विभिन्न हिस्सों में कुल 501 लोगों को हिरासत में लिया गया, इसमें से 229 को को समीक्षा बोर्ड के द्वारा छोड़ दिया गया और 272 अभी हिरासत में हैं। इसी तरह, वर्ष 2018 में, देश भर में रासुका के तहत 697 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें से 406 को समीक्षा बोर्डों द्वारा रिहा किया गया जबकि 291 हिरासत में हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया, मध्य प्रदेश में, वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में एनएसए के तहत 795 लोगों को हिरासत में लिया गया था। समीक्षा बोर्डों द्वारा 466 लोगों को रिहा किया गया जबकि 329 हिरासत में हैं। मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में, वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में रासुका के तहत 338 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें से समीक्षा बोर्ड द्वारा 150 लोगों को रिहा कर दिया गया जबकि 188 हिरासत में हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही रिहा हुए डॉ कफील खान ने एनएसए के दुरुपयोग को लेकर संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखा है। डॉ. कफील खान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) को एक पत्र लिखकर भारत में अंतरराष्ट्रीय मानव सुरक्षा मानकों के व्यापक उल्लंघन और असहमति की आवाज को दबाने के लिए एनएसए व यूएपीए जैसे सख्त कानूनों के दुरुपयोग करने की बात पत्र में लिखी है।