अनिल अंबानी की मदद के लिए आदेश में की हेरफेर, सुप्रीम कोर्ट के 2 कर्मचारी गिरफ्तार

annual general meeting of reliance capital
Mumbai: Chairman Reliance infrastructure Anil Ambani and his son Jai Anmol Ambani during the Reliance capital AGM in Mumbai on Tuesday. PTI Photo by Shashank Parade(PTI9_27_2016_000047A)

रिलायंस कम्युनिकेशन के चेयरमैन अनिल अंबानी से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में हेर-फेर कर उसे कोर्ट की वेबसाइट पर डालने के मामले में  शीर्ष अदालत के दो पूर्व कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। क्राइम ब्रांच द्वारा की गई कार्रवाई के बाद दोनों कर्मचारियों तपन कुमार चक्रवर्ती और मानव शर्मा को फिलहाल सात दिन की पुलिस रिमांड पर रखा गया है।

फिलहाल दोनों कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में किसके कहने पर हेरफेर की। सात दिन की रिमांड में क्राइम ब्रांच यह भी पता करने की कोशिश करेगा कि इसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं। इसके बदले कोई लेन-देन तो नहीं हुआ। दोनों कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट की इंटरनल जांच में दोषी पाए गए थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अवमानना के मामले में अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया था। लेकिन वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में लिखा था कि अंबानी को कोर्ट में पेश होना है। मामला सामने आने के बाद पता चला कि उस समय सुप्रीम कोर्ट में असिस्टेंड रजिस्ट्रार तपन और कोर्ट मास्टर मानव ने आदेश लिखते समय ‘पेश होना है’ में ‘नहीं’ जोड़ दिया। इस गलती को लेकर अंबानी के खिलाफ केस करने वाली कंपनी एरिक्सन ने कहा था कि यह गलती तीन दिन बाद ठीक गई। उधर, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने दोनों आरोपित कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।

गौरतलब है कि ये मामला उस समय का है जब अनिल अंबानी पर 550 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का दबाव था। अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर तय समय में राशि जमा नहीं होती है तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा। हालांकि, अनिल अंबानी ने अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी और भाभी नीता अंबानी की मदद से स्वीडन की दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन की बकाया राशि को जमा करा दिया था, जिसकी वजह से वह जेल जाने से बच गए थे।

स्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस विनीत शरण ने अनिल अंबानी को कोर्ट की सुनवाई के दौरान निजी तौर पर मौजूद रहने का ऑर्डर दिया था। 7 जनवरी को कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड आदेश में लिखा था, ‘कथित अवमानना करने वाले की निजी मौजूदगी को खारिज कर दिया गया है।’ एरिक्सन के वकीलों ने 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का ध्यान ऑर्डर में चूक की तरफ दिलाया तो फिर उसे संशोधित कर ‘नॉट’ शब्द जोड़ा गया।

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