तीन तलाक और समान आचार सहिंता के मुद्दें पर एक नया मोड़ आ गया हैं. सुन्नी सूफी उलेमाओं ने मुस्लिम महिलाओं से पहचान के सरकारी दस्तावेज जैसे पह्चान पत्र, राशन कार्ड, वोटर आईडी विशेषकर आधार कार्ड आदि को किसी भी अनजान महिला या पुरुष को न देने की अपील की हैं.
बरेलवी मसलक के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने दावा किया कि सोशल मीडिया पर ऐसी खबरे आ रही हैं जिनमे कई स्थानों पर गैर मुस्लिम महिलाएं सर्वे के नाम पर घर-घर जाकर आधार कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज की फोटोकॉपी लेकर फार्म भर रही हैं.
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, जबसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक के मामले पर लोगों की राय फार्म भरकर ली जा रही है, तभी से कुछ गैर मुस्लिम महिलाएं आधार की कॉपी लेकर उन्हें गलत भरकर वहां भेज रही हैं.
मुफ्ती सय्यद कफील अहमद ने कहा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तलाक और कॉमन सिविल कोड से जुड़े मामले के संबंध में मुसलमानों का पक्ष ले रहा है ताकि उनकी राय को सुप्रीम कोर्ट में रखा जा सके. ऐसे में मुस्लिम परिवारों को सावधानी बरतनी होगी.
उन्होंने मुस्लिम परिवारों से अपील की हैं कि जब तक पूरी तरह से मुतमीन न हों, किसी अनजान को आईडी न दें. साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फार्म को जल्द से जल्द भरकर राय दें.