नई दिल्ली. नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (NCRB) द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में सामने आया कि आबादी के अनुपात ज्यादा आदिवासी, दलित और मुस्लिम ओबीसी और सामान्य वर्ग के लोगों की अपेक्षा जेलों में ज्यादा बंद किया जा रहा है।
2019 के आकड़ों के अनुसार, मुसलमान एक ऐसा समुदाय है, जिनके दोषियों से ज्यादा अंडर ट्रायल मामले हैं। वहीं 2019 के आखिर तक देश भर की जेलों में 21.7% फीसदी दलित बंद थे। जेलों में अंडरट्रायल कैदियों में 21 फीसदी लोग अनुसूचित जातियों से थे। जनगणना में उनकी कुल आबादी 16.6 फीसदी हैं।
अनुसूचित जनजातियों कुल दोषी आबादी में 13.6 फीसदी आदिवासी शामिल हैं और 10.5 फीसदी लोग जेलों में अंडर ट्रायल हैं। राष्ट्रीय जनगणना में इनकी आबादी 8.6 फीसदी है। मुस्लिमों का आबादी में 14.2 फीसदी हिस्सा है। जेलों में बंद कुल संख्या के 16.6 फीसदी लोग मुस्लिम हैं लेकिन 18.7 फीसदी लोग अंडर ट्रायल हैं। दलितों और आदवासियों से ज्यादा अंडरट्रायल लोग मुस्लिमों में हैं।
ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के पूर्व प्रमुख एन आर वासन ने कहा ‘आंकड़ों से पता चलता है कि हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली न केवल खराब है, बल्कि गरीबों के खिलाफ है। जो लोग अच्छे वकील रख सकते हैं, उन्हें आसानी से जमानत मिल सकती है। आर्थिक रुप से असमान होने के कारण गरीब छोटे-छोटे अपराधों के लिए लंबे समय तक जेल में बंद रहते हैं।’
राज्यवार देखें तो अंडरट्रायल दलितों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश में 17,995, फिर बिहार 6,843 और पंजाब 6,831 थी। अधिकांश एसटी अंडरट्रायल लोग मध्य प्रदेश (5,894) में थे,. इसके बाद यूपी में 3,954 और छत्तीसगढ़ में 3,471 थे। अधिकतम मुस्लिम अंडरट्रायल यूपी में 21,139 फिर बिहार 4,758 और मध्य प्रदेश में 2,947 थे।
यूपी में 6,143 , मध्य प्रदेश में 5,017 और पंजाब 2,786 दलित दोषी पाए गए। वहीं आदिवासियों की बात करें तो मध्य प्रदेश में 5,303 छत्तीसगढ़ 2,906 और झारखंड में 1,985 दोषी पाए गए। वहीं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मुस्लिम दोषी पाए गए जिनकी संख्या 6098 हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2369 और फिर महाराष्ट्र में 2114 मुस्लिम दोषी पाए गए।