सलाफी स्कॉलर जाकिर नाईक ने अपने एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर लगाये प्रतिबन्ध और अपने ऊपर लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार ने बिना मेरा पक्ष जाने मुझ पर प्रतिबंध लगा दिया. अब मेरे पास कानून के सहारे के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है. मैं सरकार को इसका कानूनी तरीके से जवाब दूंगा.
शुक्रवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ये फैसला मुस्लिम ,अमन, लोकतंत्र और इंसाफ के खिलाफ एक हमला है. इस समय सरकार नोटबंदी के फैसले की नाकामयाबी से जूझ रही है ऐसे में अपनी नाकामयाबी को छुपाने के लिए मेरे एनजीओ पर प्रतिबंध लगा दिया ताकि मीडिया का ध्यान भटकाया जा सके.
उन्होंने प्रतिबंध पर आगे कहा कि मुझे इस बारे में कोई नोटिस नहीं दिया गया और ना ही समन या कोई कॉल की गई. जाकिर ने कहा कि मैंने अपनी मदद के लिए पक्ष भी रखा लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया. याद रहें कि केंद्र सरकार ने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर पांच सालों का प्रतिबन्ध लगा दिया हैं.
जाकिर ने आगे कहा कि केंद्र सरकार का आईआऱएफ को बैन करने का इरादा पहले से तय था. उन्होंने कहा, पिछले 25 सालों से मैं भारतीय कानून के दायरे में रहकर मैं काम कर रहा हूं लेकिन अचानक मुझे बैन कर दिया जाता है, वाकई देश के लिये ये दुर्भाग्यपूर्ण है.