नई दिल्ली, 30 जुलाई। मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ के पहले दिन की बैठक में सभी राज्यों से आए छात्र प्रतिनिधियों ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को बचाने के लिए संगठित होकर मुहिम चलाने का निर्णय किया गया। गर्मागर्म बहस के दौरान कई छात्र नेताओं ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के उस फ़ैसले की आलोचना की जिसमें सरकार ने अदालत में चुनौती दी गई यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को नहीं बचाने का निर्णय किया है।
सम्मेलन के पहले दिन मेहमानों का स्वागत करते हुए एमएसओ के महासचिव इंजिनियर शुजात अली क़ादरी ने कहाकि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ने एकव्यक्ति में सूर्य, नदी एवं धरती के गुण पैदा करने की नसीहत की। उन्होंने कहाकि इससे आपमें नरमी, झुकाव एवं रहम का गुण पैदा होता है जो मुस्लिम होनेके लिए आवश्यक तत्व हैं। उन्होंने कहाकि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ने जिस गुणों का ज़िक्र किया है वह ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती ग़रीब नवाज़ में देखे जासकते हैं और भारत सूफ़ीवाद का घर है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि 1857 की क्रांति में प्राणों की आहूति देने वाले सूफ़ी संतों का इतिहास जमा किएजाने की आवश्यकता है।
दबाव में है सरकार– प्रोफ़ेसर लियाकत मोइनी
एमएसओ के संरक्षक प्रोफ़ेसर लियाकत मोइनी ने कहाकि केन्द्र सरकार मुसलमान विद्यार्थियों और भर्ती में मुस्लिम उम्मीदवारों को मिलने वाले विशेषाधिकारों का हनन करना चाहती है जबकि संविधान और सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों के आधार पर मुस्लिम समुदाय को बाक़ी अल्पसंख्यकों की तरह अपने शैक्षणिक संस्थान बनाने, अपने पाठ्यक्रम अनुसार शिक्षा ग्रहण करने और उसे संचालित करने का अधिकार देता है।
मुस्लिमो के ख़िलाफ़ है सरकार– मुफ़्ती अशफ़ाक हुसैन क़ादरी
अधिवेशन में तंजीम उलेमा इस्लाम के अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक क़ादरी ने कहाकि अल्पसंख्यक संस्थान पर शिक्षा का अधिकार जैसा क़ानून भी लागू नहीं होता लेकिन सरकार की बदनीयत मुस्लिम संस्थाओं को सामान्यीकरण कर समुदाय के हक़ को छीनना चाहती है जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा। उन्होंने कहाकि अगर एएमयू के बहाने सरकार मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों पर क़ब्ज़ा करना चाहती है तो उसकी इस बदनीयती को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
एएमयू के बाद जामिया का नम्बर– खालिद अय्यूब मिस्बाही
पहले दिन के अधिवेशन में मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया के उपाध्यक्ष ने कहाकि एएमयू के बाद मोदी सरकार जामिया मिल्लिया इस्लामिया, मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक संस्थानों को मुसलमानों से छीनकर साम्प्रदायिक बंटवारा कर अपने वोट बैंक को यह संदेश देना चाहती है कि वह भारत के हिन्दूकरण की नीति पर कार्य कर रही है। एमएसओ के इसके ख़िलाफ़ ना सिर्फ़ सड़कों पर आएगी बल्कि अदालत में भी इसको चुनौती दी जाएगी।
प्रसिद्ध कम्पनी सचिव अनिकेत श्रीवास्तव ने कहाकि मुस्लिम समुदाय के सामने ग़रीबी एवं अशिक्षा सबसे बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए मुस्लिम समुदाय को शिक्षा का स्तर बढ़ाकर धनार्जन एवं व्यापार में आगे आने की कोशिश करनी चाहिए एवं उनके इस प्रयास में हम उनका साथ देने के लिए तैयार हैं।
विद्यार्थियों का साम्प्रदायिक बँटवारा नहीं होने देंगे– सय्यद तकी
इस्लाम शांति का धर्म – बरकाती
राबिया बसरिया के सुप्रीमो हाजी शाह मुहमद क़ादरी ने कहाकि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का साम्प्रदायिक आधार पर बँटवारा कर वोट लेने के फ़ॉर्मूले के तहत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर बहस की जा रही है लेकिन एमएसओ राज्य में अलीगढ़ के बहाने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होने देगी। बीजेपी अलीगढ़ के रास्ते लखनऊ विधानसभा की सीढ़ियाँ चढ़ना चाहती है जिसका मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
दूसरे दिन राष्ट्रीय नीति का मूल्यांकन
कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर असद मालिक, इमरानुद्दीन बंगाल, अलिबुल हसन ओस्मानी असाम, आमिर तहसिनी, खुर्शीद रजवी बंगलुरु, अब्दुल अरशद हैदराबाद, अनीस शिराज़ी मुरादाबाद, इदरिस नूरी राजस्थान, सलमान, यावर चौधरी, मोईनुद्दीन त्रिपुरा, हबीब मुल्तानी आदि लोग मौजूद रहे.