वित्त मंत्री अरुण जेटली के मामले में आप नेता दीपक बाजपेयी की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतहासिक टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी आपत्तिजनक ट्वीट को रिट्वीट करना भी अपराध की श्रेणी में आ सकता है. अगर पीड़ित ने मानहानि मुकदमा किया हो.
दरअसल, बाजपेयी ने याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने डीडीसीए मामले में दलील दी थी कि उन्होंने कोई ट्वीट नहीं किया बल्कि एक ट्वीट को रिट्वीट किया था. बाजपेयी ने इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट के समन को रद्द करने की मांग की थी.
उन्होंने याचिका में कहा कि वो दिल्ली के रहने वाले नहीं हैं. वो तो यूपी के निवासी हैं. कानून के मुताबिक अपने क्षेत्राधिकार से बाहर कोर्ट को समन भेजने से पहले जांच करनी होती है. पटियाला हाउस कोर्ट ने ये सब कवायद नहीं की, इसलिए समन रद्द किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने दलील को मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है. ध्यान रहे इस पहले इस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट भी 458 दिनों की देरी से दाखिल करने की वजह से खारिज कर चुकी थी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही राघव चड्ढा की याचिका भी खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने सिर्फ केजरीवाल के ट्वीट को री-ट्वीट किया था और ये मानहानि का मामला नहीं बनता. इस मामले में अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, आशुतोष भी आरोप हैं.