अयोध्या में बाबरी मसजिद के स्थान पर राम मंदिर बनाने का समर्थन करते हुए शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है.
हलफनामे में बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर अपना हक जताते हुए कहा, 2010 में आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार जमीन के एक तिहाई हिस्से पर हक उनका है न कि सुन्नी वफ्फ बोर्ड का. बोर्ड की तरफ से दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद को मीर बांकी ने बनवाई थी. बोर्ड ने ये भी कहा कि अगर उन्हें मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह दे दी जाए तो वे अपना जमीन पर से दावा छोड़ने के लिए भी तैयार है.
बोर्ड के इस फैसले से सुन्नी समुदाय बुरी तरह से आहत है. सुन्नी नेताओं ने इस पुरे मामले को एक बड़ी साजिश करार देते हुए कहा कि ये बाबरी मस्जिद के हक़ में मुकदमे को कमजोर करने की कोशिश है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी का कहना है कि इस हलफनामे का कोई महत्व नहीं है. क्योंकि हाई कोर्ट ने ज़मीन पर मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया है. ये हलफनामा महज एक अपील है. तो वहीँ दुसरे वकील एम.आर. शमशाद का कहना है कि सात सालों से शिया वक्फ बोर्ड इस मामले में कहीं नहीं दिखा और अचानक ये हलफनामा दाखिल हुआ है. ये देखना होगा कि इसके पीछे कौन है.
अलिगढ़ मुस्लिम युनिवर्सीटी के प्रोफेसर रेहान अख्तर कासमी का कहना है कि ये मुसलमानों के मुकदमे को कमजोर करने की कोशिश लग रही है.