कुछ मुसलमानों की वजह से शांति और अमन के मजहब इस्लाम और दुनिया भर के मुसलमानों को आतंकवाद, दहशतगर्द और चरमपंथी जैसे इल्जामों को सहना पड़ रहा हैं. इसी मुद्दें पर एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मुहम्मद महमूद मदनी ने इस्लाम में फ़ैल रहे कट्टरपंथ के लिए सूफीवाद को हल बताया हैं.
इस बारे में उन्होंने कहा कि सूफीवाद ही इस्लाम और मुस्लिमों की असली पहचान है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के गलत स्वार्थ की वजह से मुसलमानों को गलत नजरिये से देखा जाता हैं. उन्होंने इसके लिए सूफीवाद को हल बताते हुए कहा कि मुसलमानों को घबराने की जरुरत नहीं हैं.
उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम धर्म को देखने के लिए पहले सूफीवाद को समझने की जरूरत है. उन्होंने हजरत ख्वाजा गरीब नवाज की तालीम को इस्लाम की असली ताकत बताते हुए कहा कि हजरत ख्वाजा मोइनउद्दीन चिश्ती साहब ने पूरे मुस्लिम देश समेत भारत और उसके पड़ोसी देशों के लिए इस्लाम की जो व्याख्या की है वही इस्लाम की ताकत है.
मदनी ने दहशतगर्द और चरमपंथ को लेकर कहा कि इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं हैं. उन्होंने दुनिया को जोड़ने के लिए सूफीवाद को जरुरी बताते हुए कहा कि धर्म से ज्यादा पूरी इंसानियत के बीच भाईचारे की जरुरत हैं. इसके साथ ही उन्होंने हजरत ख्वाजा गरीब नवाज की तालीम को समाज में आपसी सौहार्द के लिए आगे बढ़ाने की बात कही.
इसके अलावा उन्होंने कहा, हिंदूस्तान हमारा देश है. हम ये देश छोड़ नहीं सकते. हम यहां रहना चाहते हैं, यहां हमारे मोइनउद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ हैं. ख्वाजा के संदेश को लेकर आगे बढ़ेंगे.