नई दिल्ली | भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और अपने बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में रहने वाले सुब्रमन्यम स्वामी की छवि एक ऐसे नेता की रही जो अपने विरोधियो के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है. इसलिए ज्यादातर विरोधी उनके खिलाफ बोलने से बचते है. लेकिन स्वामी अपने कडवे बयानों को बदस्तूर जारी रखते है. उन्हें जिसके खिलाफ बोलना है वो साफ़ गोही के साथ बोल देते है चाहे फिर वो उन्ही की पार्टी का नेता क्यों न हो?
वित्त मंत्री अरुण जेटली से बाद उदहारण क्या हो सकता है? स्वामी ने जेटली के खिलाफ ट्वीटर पर एक अभियान से छेड़ दिया था. बाद में प्रधानमंत्री मोदी को ही मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. मंगलवार को भी उन्होंने एक ऐसा ट्वीट किया जिससे की खुद उनकी पार्टी भी हैरान रह गयी. उन्होंने आधार कार्ड को अनिवार्य करने के मोदी सरकार के फैसले को अनुचित करार दिया और इसे राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए खतरा बता दिया.
बुधवार को एक अन्य ट्वीट में उन्होंने अपने विरोधियो को भी चौंका दिया. उन्होंने ट्वीट के जरिये एक सवाल किया और फिर खुद ही उसका जवाब भी दे दिया. उन्होंने लिखा,’ सवाल: क्या मैं मुस्लिम विरोधी हूँ? मैं उन मुसलमानों का समर्थक हूँ जो गर्व से स्वीकार करते हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे और वो स्वेच्छा से हिन्दू संस्कृति का पालन करते हैं.’ उनकी छवि हमेशा से मुस्लिम और इस्लाम विरोधी नेता की रही है.
हालाँकि कई बार वो इसका खामियाजा भी भुगत चुके है. 2011 में अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें केवल इसलिए पढ़ाने से रोक दिया था क्योकि उन्होंने मुस्लिमो और इस्लाम के खिलाफ एक लेख लिखा था. मालूम हो की स्वामी वहां अर्थशास्त्र के दो विषय पढ़ाते थे. अयोधय में राम मंदिर निर्माण के लिए भी वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके है. याचिका में उन्होंने कोर्ट से अयोध्या में विवादित स्थल पर पूजा करने की इजाजत मांगी थी.
Q:Am I anti Muslim? I am pro those Muslims who proudly admit that their ancestors are Hindus and follow Hindu cultural practices willingly.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) November 1, 2017