कठेरिया पर ये केस 2010 से 2011 के बीच आगरा के तीन पुलिस स्टेशनों में दर्ज हुए थे। उस वक्त वे स्थानीय सांसद थे। उन पर दंगे, पुलिसवालों पर हमले, सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में बाधा पहुंचाने जैसे आरोप लगे थे।
विश्व हिंदू परिषद् के एक नेता की मौत के शोकसभा में एक समुदाय विशेष पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले केंद्रीय मंत्री और आगरा से बीजेपी सांसद रामशंकर कठेरिया को सूबे की अखिलेश सरकार ने 2013 में पांच आपराधिक मामलों में क्लीनचिट दी थी। एक अप्रैल 2013 को दिए आदेश में राज्य सरकार ने ‘जनहित और न्याय की मांग’ को आधार बताते हुए यह फैसला किया था। कठेरिया पर ये केस 2010 से 2011 के बीच आगरा के तीन पुलिस स्टेशनों में दर्ज हुए थे। उस वक्त वे स्थानीय सांसद थे। उन पर दंगे, पुलिसवालों पर हमले, सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में बाधा पहुंचाने जैसे आरोप लगे थे।
इस बारे में पूछे जाने पर कठेरिया ने कहा, ”मुझे अपने वकील देवेंद्र सिंह से इन मामलों का स्टेटस जानना होगा।” वहीं सिंह ने कहा, ”कोर्ट ने तीन मामलों को वापस लेने की इजाजत दी थी। दो अन्य मामलों को वापस लेने से जुड़ी याचिका को स्थानीय कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद हम संशोधित याचिका के साथ ऊपरी अदालत में पहुंचे। इन दो मामलों में से एक में कोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया कि वे केस वापस लेने से जुड़ी याचिका पर दोबारा से विचार करें। दूसरे मामले में दी गई याचिका फिलहाल लंबित है।” बता दें कि यूपी के वर्तमान विधानसभा सत्र में कांग्रेसी सांसदों ने मांग की थी कि ‘भड़काऊ भाषण’ के मामले में कठेरिया के खिलाफ एक्शन लिया जाए। इसके जवाब में संसदीय मामलों के मंत्री आजम खान ने कहा था कि एक्शन लिया जा रहा था, लेकिन किसी केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। (Jansatta)