कन्हैया और उमर खालिद की हत्या के लिए उकसा रहे हैं कुछ न्यूज चैनल

नई दिल्ली। जेएनयू विवाद में न्यूज चैनलों का एक गुट जानबूझकर गलत सूचनाएं देकर उन्माद और हिंसा को हवा दे रहा है। गलत रिपोर्टिंग की वजह से ही पटियाला हाऊस कोर्ट में हिंसक भीड़ ने यूनियन प्रेसिडेंट कन्हैया, उनके समर्थकों और पत्रकारों पर दो बार हमला किया। भीड़ इस कदर उन्मादी दिख रही है कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। वे खुलेआम हमला करने के साथ-साथ अब जान लेने की धमकी दे रहे हैं।

बुधवार को हमला करने वाली हिंसक भीड़ ने कहा कि कन्हैया को जमानत मिलने के बाद हम उन्हें ऊपर भेज देंगे। इसमें कोई शक नहीं कि समाचार चैनलों की झूठी रिपोर्टिंग की वजह से कन्हैया और दूसरे आरोपी उमर खालिद की जिंदगी खतरे में पड़ गई है।
ताजा स्थिति यह है कि कन्हैया या उमर खालिद की हत्या करवाने के लिए ऐसे चैनल खुलकर मैदान में आ गए हैं। कन्हैया के भाषण के साथ छेड़छाड़ करके दर्शकों को झूठ परोसा जा रहा है। 10 फरवरी को कन्हैया अपने भाषण में भूख और शोषण से आजादी का नारे लगा रहे हैं लेकिन झूठ बेच रहे समाचार चैनलों ने उनके भाषण में छेड़छाड़ कर दी। इन चैनलों ने भूख और शोषण वाला अंश हटाकर अपनी स्क्रीन पर सिर्फ ‘आजादी-आजादी’ का नारा दिखाया।
छेड़छाड़ किया गया वीडियो देखने के बाद आम जनमानस में संदेश यह गया कि कन्हैया भारत से आजादी और कश्मीर की आजादी के नारे लगा रहे हैं। जाहिर है कि चैनल इस स्तर का झूठ भारतीय समाज की भावनाएं भड़काने के मकसद से बेच रहे हैं लेकिन इसके नतीजे बेहद भयावह होने वाले हैं। झूठ को देख-देखकर उन्मादी भीड़ अब कन्हैया और उमर खालिद की खून की प्यासी दिख रही है।
यहां यह जानना भी जरूरी है कि कन्हैया पर जल्दबाजी में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई झूठ फैलाने की वजह से हुई। बिना किसी सुबूत के न्यूज चैनलों ने कन्हैया समेत दर्जनभर स्टूडेंट्स को देशद्रोही करार दे दिया। हालांकि कार्रवाई के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस बैकफुट पर है। इंटलिजेंस से लेकर दिल्ली पुलिस तक ने मान लिया है कि उनके पास कन्हैया के खिलाफ कोई सुबूत नहीं है। बावजूद इसके झूठ बेचकर बड़े-बड़े अवार्ड हथिया चुके ऐसे चैनल संपादक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। (liveindiahindi)
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