झारखंड की बीजेपी सरकार द्वारा मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (P.F.I) पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाना शुरू हो गई है. देश के तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने इस प्रतिबंध को मजाक करार देते हुए तत्काल हटाने की मांग की है.
बुधवार बयान जारी कर कहा गया कि प्रतिबंध का आदेश न सिर्फ़ क़ानून का मज़ाक़ है बल्कि संविधान में दर्ज मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है. संगठन पर मध्यपूर्व के आईएसआईएस से प्रभावित होने का बेबुनियाद आरोप लगाया गया है.
बयान में बुद्धिजीवियों ने कहा कि ” वे समझते हैं कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया, एक नया सामाजिक आंदोलन है जो ग़रीबों, वंचितों, ख़ासतौर पर मुसलमानों के सशक्तिकरण के लिए साक्षरता अभियान, कुपोषण की रोकथाम जैसे विकास के कामों में सक्रिय है. दरअसल, झारखंड की हिंदुवादी सरकार और पुलिस,लिंचिग जैसी घटनाओं के मामले उजागर करने की वजह से PFI के कार्यकर्ताओं से नाराज़ है. यह प्रतिबंध विरोध और असंतोष ज़ाहिर करने के लोकतांत्रिक तरीकों को दबाने के लिए है. यह पहली बार नहीं है कि सरकार ने इस संसाधन समृद्ध राज्य की लूट और सत्तारूढ़ वर्ग के भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून का इस्तेमाल किया है.
बता दें कि झारखंड सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1908 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाया है. बयान में कहा गया है, “पीएफआई पाकुड़ जिले में काफी सक्रिय है. केरल में गठित पीएफआई के सदस्य आईएस से प्रभावित हैं.
गृह विभाग की रपट के मुताबिक, पीएफआई के कुछ सदस्य केरल से सीरिया गए थे और आईएस के लिए काम किया था.” बीते 17 फरवरी को पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ने अपने 11 साल पुरे किये है.