
मालेगांव: शुक्रवार को पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) महाराष्ट्र एसएम मुशरिफ ने मांग की है कि गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कारवाई की जाना चाहिए उन्होंने आरोप लगाया कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) और महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के अधिकारी 2005 से हिंदू आतंकवादियों के साथ मिलकर में काम कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 25 विस्फोटों के लिए जिम्मेदार हिंदू आतंकवादियों की रक्षा के लिए पुलिस ने जानबूझकर निर्दोष मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर इन आतंकवादी हमलों को एक अलग रंग दे दिया है।
र्व शीर्ष पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को मालेगांव में जनसभा को संबोधित करते हुवे कहा कि “2001 से 2008 के बीच होने वाले ब्लास्ट एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थे। आईबी और एटीएस अधिकारियों को इस योजना के बारे में केवल पता ही नहीं था, बल्कि वे हिंदू आतंकवादियों के हाथ खिलौना बने हुवे थे”
ये जनसभा मुंबई अदालत के आदेश के बाद कुल जमाते तंजीम मालेगांव द्वारा बुलाया गया थी जिसमे नौ मुस्लिम को रिहा करने के लिए आदेशित किया गया था, आरोपियों के खिलाफ 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले में पहले एटीएस ने और बाद में सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किये थे, ।
उन्होंने आगे कहा कि “आरोप पत्र झूठ का एक बंडल था। उस दिन जो हो रहा था गलत था। उन्होंने कहा कि बाद में जांच ने साबित कर दिया कि अभिनव भारत के आतंकवादी देश में कई धमाकों के लिए जिम्मेदार थे और उन अधिकारियों का मौन समर्थन उन्हें हासिल था।
मुशरिफ ने कहा है कि अगस्त 2005 में, पूर्व एटीएस प्रमुख रघुवंशी ने आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच पर एक प्रशिक्षण सत्र के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को आमंत्रित किया था। कर्नल पुरोहित को जब भी बुलाया गया था तब आरडीएक्स की एक बड़ी मात्रा औरंगाबाद में जब्त की गयी थी।
“लेकिन एक तथ्य यह भी है कि उस समय आरडीएक्स की एक बड़ी मात्रा पुरोहित के कब्जे में थी। उन्होंने इस साजिश में शामिल अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की है, मुशरिफ ने कहा, “सरकार को न केवल इन मुसलमानों से जिन्होंने बिना किसी गलती के जेल में कई साल बिताए, साथ ही पूरे मुस्लिम समुदाय से माफी मांगनी चाहिए। सरकार को इन मुसलमानों के लिए मुआवजे की घोषणा भी करनी चाहिए”।
जनसभा को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के विधायक अबू असीम आजमी ने कहा, कुल जमाते तंजीम मालेगांव ने झूठे मामले में गिरफ्तार मुसलमानों के परिवारों की मदद की हैं, इनका न्याय दोषी अधिकारियों को दंडित किये बगेर अधूरा होगा।
“मैं भारत के राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश से अपील करता हु कि जिन अधिकारियों ने जानबूझ कर मुसलमानों के जीवन को बर्बाद किया हैं उन्हें दण्डित किया स्वय संज्ञान लेकर उन पर कारवाई करे।”