नई दिल्ली। सियाचिन में मौत को मात देकर लौटे हनुमंथप्पा आखिर जिंदगी की जंग हार गए। दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में हनुमंथप्पा का निधन हो गया। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। सीटी स्कैन से पता चला था कि उनके मस्तिष्क को ऑक्सीजन की सप्लाई पर गहरा असर पड़ा है। उनके शरीर के तमाम अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। हनुमंथप्पा 6 दिन तक बर्फ में दबे रहे थे जबकि उनके बाकी 9 साथियों को बचाया नहीं जा सका था।
उनके दोनों फेफड़ों में न्यूमोनिया का संक्रमण था। शरीर के कई अंग अभी भी सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे। तमाम कोशिशों और दवाओं के बावजूद हनुमंथप्पा अलविदा कह गए। सियाचिन में 35 फीट बर्फ में 6 दिन तक दबे रहने के बाद सोमवार को लांसनायक हनुमंथप्पा को निकाला गया था। हनुमंथप्पा की सलामती के लिए पूरे देश ने अपने-अपने तरीके से दुआएं की थीं। उनकी सलामती के लिए कहीं हवन हुए तो लखनऊ की ईदगाह में उनके लिए नमाज अदा की गई। जयपुर में महाआरती का आयोजन हुआ।