मुंबई | नोट बंदी के बाद पुरे देश में इसको लेकर बहस शुरू हो गयी. कोई इसको कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक बता रहा था तो कोई इसका विरोध कर रहा था. बीजेपी नेता और मंत्री लगातार नोट बंदी को कालेधन के खिलाफ एक अहम् लड़ाई बता रहे थे. इसी भाव में बहाकर केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जनसँख्या को लेकर एक विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कहा की देश में अब नसबंदी की भी जरुरत है.
गिरिराज सिंह के इस बयान की विपक्ष ने खूब आलोचना की लेकिन बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने उनके समर्थन में खडी दिखाई दे रही है. शिवसेना ने गिरिराज सिंह के बयान का समर्थन करते हुए कहा की देश में हर किसी को अपने विचार रखने की आजादी है. उन्होंने अपने विचार व्यक्त करके कुछ भी गलत नही किया. उन्होंने जो कहा , वो सही कहा.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना ‘ में छपे सम्पादकीय में कहा गया की नसबंदी से पहले हमें देश में , सामान नागरिक संहिता लाने की बात करने चाहिए. चूँकि जनसँख्या विस्फोट रूपी दानव देश को निगल रहा है और देश में बढ़ रही जनसँख्या में मुसलमानों का अनुपात और के मुकाबले कही ज्यादा है.इसलिए इसे रोके जाना बहुत जरुरी है. इसलिय नसबंदी के साथ साथ सामान नागरिक संहिता की भी मांग उठनी चाहिए.
मालुम हो की गिरिराज सिंह ने कहा था की जैसे मोदी जी ने कालेधन पर नियनत्रण करने के लिए नोट बंदी लागु की ऐसे ही जनसँख्या पर नियंत्रण करने के लिए नसबंदी लागू करने की जरुरत है. सिंह ने अपने बयान के लिए तर्क दिया की हमारी जनसँख्या दुनिया की कुल 17 फीसदी है. हम हर साल एक ऑस्ट्रेलिया पैदा कर देते है. देश जनसँख्या विस्फोट के मुहाने खड़ा है इसलिय इसे लागु करने की जरुरत है.