सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में SC/ST कर्मचारियों को आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई शुरु कर दी है।
इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2006 में नागराज मामले में आया फैसला ST/SC कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने में बाधा डाल रहा है,लिहाजा इस फैसले पर फिर से विचार की ज़रूरत है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।
सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस फैसले में आरक्षण दिए जाने के लिए दी गई शर्तों पर हर केस के लिए अमल करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।

केंद्र सरकार ने कहा कि 2006 में आए इस फैसले में कहा गया था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले ये साबित करना होगा कि सेवा में SC/ST का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसके लिए डेटा देना होगा। वेणुगोपाल ने कहा कि SC/ST समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा रहा है और SC/ST में पिछड़ेपन को साबित करने की ज़रूरत नहीं है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 1000 साल से SC/ST जो भुगत रहे है, उसे संतुलित करने के लिए SC/ST को आरक्षण दिया है, ये लोग आज भी उत्पीड़न के शिकार हो रहे है। 2006 के एम नागराज फैसले पर सवाल उठाते हुए अटॉनी जनरल ने कहा कि इस फैसले में आरक्षण दिए जाने के लिए दी गई शर्तो पर हर केस के लिए अमल करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। आप SC/ST को नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को कैसे साबित करेंगे।