सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम में एनआरसी के कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला की रिपोर्ट की कॉपी केंद्र सरकार को देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, “भले ही केंद्र इस मामले में रुचि रखता हो, लेकिन कोर्ट को चीजें बैलेंस करनी हैं।’ एनआरसी के ड्राफ्ट पर दावे और आपत्तियां लेने की प्रक्रिया की शुरुआत भी कोर्ट ने अगले आदेश तक टाल दी है। नागरिकता साबित करने के लिए केंद्र ने 15 अतिरिक्त दस्तावेजों की सूची कोर्ट को दी है।
इस पर हजेला ने सुझाव दिया कि इनमें से सिर्फ 10 दस्तावेज वेरिफिकेशन में लिए जा सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि नागरिकता के लिए इन 10 में से कोई भी दस्तावेज इस्तेमाल किया जा सकता है। पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 19 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।
एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए दावा प्रपत्र की सूची-ए में जिन दस पैतृक दस्तावेज पर भरोसा किया जाएगा, वे इस प्रकार हैं –
- जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज.
- राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थाई निवास प्रमाणपत्र.
- भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट.
- भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसीआई) की बीमा पॉलिसी जो 24 मार्च 1971 तक वैध हो.
- किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र.
- सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज.
- बैंक/डाक घर में खाता.
- सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र.
- बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र.
- न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज.
राज्य एनआरसी संयोजक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआरसी में किसी का नाम शामिल कराने का दावा करने के लिए इन 10 दस्तावेजों को वैध माना जाएगा. यदि यह दस्तावेज उन्हें जारी करने वाले सक्षम प्राधिकार के पास सत्यापन में सही निकलते हैं तो उन्हें वैधती दी जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार वंशावली से जुड़े इन पांच दस्तावेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी
- एनआरसी, 1951 का हिस्सा
- मतदाता सूची का हिस्सा या प्रमाणित प्रति
- सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी नागरिकता प्रमाणपत्र
- शारणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र
- सक्षम प्राधिकार द्वारा आधिकारिक सील और हस्ताक्षर के साथ जारी किया गया राशन कार्ड