एक डॉलर देने पर बुधवार को 68.47 रुपये मिल रहे थे। नए साल में रुपये का यह सबसे कम भाव है। दिन के ट्रेड में एक समय इसकी वैल्यू 30 महीने में सबसे कम हो गई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जल्द ही एक डॉलर में 70 रुपये मिलने लगेंगे। उसके बाद डॉलर के मुकाबले रुपया रेकॉर्ड लो लेवल पर चला जाएगा।
ईटी के एक सर्वे से ये बातें सामने आई हैं। विदेशी निवेशकों के भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने से रुपये का भाव गिरा है। डर यह भी है कि सरकार अधिक खर्च की चिंता किए बिना इकनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए अधिक घाटा उठा सकती है। इससे भी भारतीय करंसी की वैल्यू कम हो रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 10 पैसे यानी 0.15 पर्सेंट टूटकर 68.47 पर रहा।
सर्वे के मुताबिक, दिसंबर तक एक डॉलर में 72 रुपये मिलने लगेंगे। यह रुपये का अभी से 5 पर्सेंट कम भाव होगा। सर्वे में औसत भाव 69.72 सामने आया है। वहीं, पिछले साल अगस्त में एक डॉलर में 68.85 रुपया मिल रहा था, जो भारतीय करंसी का अब तक का सबसे कम भाव है।
पिछले साल रूस, ब्राजील जैसे इमर्जिंग देशों की करंसी की तुलना में रुपया काफी मजबूत था, लेकिन इस साल अब तक यह 3.5 पर्सेंट कमजोर हुआ है। डॉलर के मुकाबले बुधवार को यह 68.67 तक चला गया था, लेकिन बाद में यह मजबूत हुआ। ट्रेडरों का कहना है कि आरबीआई के इशारे पर सरकारी बैंकों के करंसी मार्केट में उतरने से रुपये की कमजोरी कुछ कम हुई। बड़ी बात यह है कि रुपये की कमजोरी से कोई घबराहट नहीं है।
एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि रुपये का भाव कम होना बुरी बात नहीं है। ग्लोबल फाइनैंशल मार्केट्स में जो हो रहा है, उसका असर भारतीय करंसी पर हुआ है। उनका यह भी मानना है कि रुपये की वैल्यू कम होने से एक्सपोर्ट मार्केट में भारतीय सामान सस्ते होंगे। जनवरी में लगातार 14वें महीने में भारतीय एक्सपोर्ट में गिरावट आई थी।
विदेशी फंडों ने इस साल 16 फरवरी तक भारतीय शेयर बाजार से 1.96 अरब डॉलर निकाले हैं। पिछले साल उन्होंने 7.21 अरब डॉलर के शेयर खरीदे थे। कोटक महिंद्रा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर उदय कोटक ने बताया, ‘अगर आप फंड मैनेजर हैं और इन्वेस्टर्स आपसे अपना पैसा वापस मांग रहे हैं तो आपके पास शेयर बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा। भारतीय मार्केट पर इसका बुरा असर हो रहा होगा। हालांकि, देश की मैक्रो-इकनॉमिक कंडीशंस अच्छी हैं, लेकिन माइक्रो लेवल पर कुछ चुनौतियां हैं। हमें इन्हें खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए।’
पिछले साल अगस्त में रुपये में अचानक गिरावट आई थी, लेकिन इस बारे इसमें लंबे समय में कमजोरी आएगी। इनवेस्टर्स का कहना है कि देश की मैक्रो इकॉनमी उस वक्त से काफी मजबूत हुई है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के फॉरेक्स हेड एम एस गोपीकृष्णन ने कहा, ‘इन्वेस्टर्स आज रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। इमर्जिंग मार्केट्स के इक्विटी और डेट फंड्स से पैसा निकाला जा रहा है। मुझे लगता है कि मार्च तक रुपये का भाव 69.25 होगा।’ (नवभारत टाइम्स)